हिंडनबर्ग रिपोर्ट: SEBI चेयरपर्सन माधबी बुच से हिस्सेदारी के आरोपों पर अडानी ने तोड़ी चुप्पी, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में हुए खुलासों पर कही ये बात

  • हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट से मचा बवाल
  • सेबी अध्यक्ष माधबी बुच और पति पर लगा आरोप
  • आरोपों पर अडानी ग्रुप की सामने आई पहली प्रतिक्रिया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-11 08:44 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने शनिवार को रिपोर्ट जारी कर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जिसके बाद देशभर में इसकी चर्चा तेज हैं। इस रिपोर्ट पर अब अडानी ग्रुप की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमें अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारा है। अडनी ग्रुप ने सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के साथ किसी भी तरह का कमर्शियल कन्केशन होने के आरोपों का खंडन किया है।

अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के आरोपों का किया खंडन

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों पर अडानी ग्रुप ने रविवार को गलत ठहराया है। अडानी ग्रुप का कहना है कि रिपोर्ट में जिन लोगों या मामलों के बारे में दावा किया गया है। उनका अडानी समहू से कोई कमर्शियली तौर पर ताल्लुकात नहीं है। बता दें, अडानी ग्रुप की हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट पर यह पहली प्रतिक्रिया है। इस रिपोर्ट में गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी और उनके कुछ करीबी, सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर कुछ विदेशी फंड में निवेश करने का आरोप है।

अडानी ग्रुप में अपनी सफाई में हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को गलत बताया है। कंपनी का कहना है कि वह इन आरोपों को बेबुनियाद है। इसलिए वह इन्हें मानने से इनकार करती है। अडानी ग्रुप ने कहा कि वह यह बात फिर से दोहराती है कि कंपनी का विदेश होल्डिंग स्ट्रक्चर पूरी तरह से पारदर्शी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह पर कंपनियों की जालसाजी करके फंड की हेराफेरी करने की बात कही है।

साल 2023 में हिंडनबर्ग ने अडानी पर लगाया था आरोप

हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप के बीच विवाद की जड़ एक साल पुरानी है। दरअसल, जनवरी 2023 में हिंडनबर्न रिसर्च की ओर से रिपोर्ट जारी की गई थी। जिसमें अडानी ग्रुप पर शेयरों के भाव चढ़ाने, हेराफेरी करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं बल्कि हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप को कॉरपोरेट वर्ल्ड के इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉरड बताया था। इस रिपोर्ट का असर यह हुआ था कि अडानी ग्रुप के एमकैप में 80 बिलियन डॉलर से अधिक की गिरवाट दर्ज की गई थी। जिससे कंपनी का काफी नुकसान झेलना पड़ा था।

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