आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक: कोलकाता केस और बांग्लादेश में मची उथल पुथल के मुद्दों पर चर्चा, वायनाड भूस्खलन में रेस्क्यू करने वालों के साथ शुरू हुई मीटिंग
- आरएसएस की बैठक शुरू
- जरूरी मुद्दों पर होगी चर्चा
- प्रचार प्रमुख ने क्या कहा?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जहां बांग्लादेश में तख्तापलट और बंगाल में कोलकाता रेप और मर्डर केस के हल्ले के बीच केरल के पलक्कड़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की तीन दिन की अहम बैठक शुरू हो गई है। 31 अगस्त यानी आज से ही शुरू हो चुकी है। बैठक का शुभारंभ संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दीप जलाकर किया है। बैठक में 32 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। संघ प्रमुख मोहन भगत के साथ मंच पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोल भी थे।
ये बैठक साल में एक बार आयोजित होती है। जिसमें शुरूआत में अभी ही वायनाड में हुए भूस्खलन की जानकारी और स्वयंसेवकों की तरफ से की गई सहायता और सेवा कार्यों की जानकारी सभी प्रतिनिधियों को दी गई है। बैठक के कार्यकर्ता काम की जानकारी और एक्सपिरियंस शेयर करेंगे। माना जा रहा है कि बैठक में बांग्लादेश और कोलकाता केस पर भी चर्चा होगी।
इन विषयों पर होगी चर्चा
बैठक में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में हुए हादसे के बारे में चर्चा होगी। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों के मुख्य विषयों पर भी चर्चा होगी। इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन के महासचिव बीएल संतोष भी मौजूद रहेंगे मोदी सरकार 3.0 बनने के बाद आरएसएस की ये पहली बैठक है जिसमें उनके सहयोगी संगठन मौजूद हैं। इस बैठक में बहुत से विषयों पर खुलकर चर्चा होगी साथ ही समन्वय को आगे बढ़ाने से संबंधित जरूरी उपायों पर भी चर्चा होगी।
प्रचार प्रमुख का क्या है कहना?
प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने कहा, "यह पहली बार है जब हम केरल में इस तरह की बैठक कर रहे हैं। बैठक में आरएसएस के 90 सदस्यो के साथ 32 संगठनों के 320 सदस्य विचार-विमर्श करेंगे। हम आमंत्रितों से फीडबैक लेंगे और जमीनी स्थिति का आंकलन करेंगे। मीटिंग में प्रत्येक संगठन क्षेत्र के अनुभव, उनके तरफ से उठाए मुद्दों और उनके अवलोकन को भी साझा करेंगे।"
आरएसएस संबंधित नेता ने आगे कहा कि, "राष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण मुद्दे, राष्ट्रीय सुरक्षा, वर्तमान मुद्दे, वर्तमान में हो रही घटनाएं, कुछ राज्यों के मुद्दे, कुछ राज्यों में चिंताजनक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। समन्वय को बढ़ाने पर भी चर्चा होगी। तीन दिनों में कई सत्र होंगे। साल 2025 विजयदशमी से साल 2026 विजयदशमी तक हम शताब्दी समारोह मनाएंगे। जिसके तहत हम बड़े स्तर पर सामाजिक परिवर्तन के मुद्दे उठाएंगे। पंच परिवर्तन पर भी काम किया जाएगा। जिसमें सामाजिक सद्भाव, परिवार जागरण, पर्यावरण के मुद्दे, आत्मसम्मान और नागरिक कर्तव्य भी शामिल हैं। इन सभी पांचों पहलूओं को आरएसएस की तरफ से विजयदशमी 2025 में बड़े पैमाने पर शुरू किया जाएगा।"