पूर्व जजों की चिट्ठी: सीजेआई को 21 पूर्व जजों ने लिखी चिट्ठी, न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास खत्म होने पर जताई चिंता
- 21 पूर्व जजों ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी
- 'न्यायपालिका में खत्म हो रहा है लोगों का विश्वास'
- अदालतों और जजों पर दबाव कम करने की अपील
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 21 जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखी है। पूर्व जजों ने इस चिट्ठी में निजी लाभ से प्रेरित तत्वों पर न्यायपालिका के प्रति जनता के विश्वास को खत्म करने की बात कही है। पूर्व जजों ने चिट्ठी में अदालतों और जजों की सत्यनिष्ठा पर आरोप लगाकर भ्रामक तरीके से न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की बात कही है। इसके अलावा पूर्व जजों का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां खासतौर पर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व से जुड़े मामलों में अधिक होता है। चिट्ठी में न्यायपालिका पर बनाए जा रहे अनुचित दबावों से बचाने की जरूरत पर भी जोर दिया गा है।
'न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास'
चिट्ठी में पूर्व जजों ने लिखा, "राजनीतिक हितों और निजी लाभ से प्रेरित कुछ तत्व हमारी न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को खत्म कर रहे हैं। इनके तरीके काफी भ्रामक हैं, जो हमारी अदालतों और जजों की सत्यनिष्ठा पर आरोप लगाकर न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने का स्पष्ट प्रयास हैं। इस तरह की गतिविधियों से न सिर्फ न्यायपालिका की शुचिता का असम्मान होता है बल्कि जजों की निष्पक्षता के सिद्धांतों के सामने चुनौती भी है। इन समूहों द्वारा अपनाई जा रही स्ट्रैटेजी काफी परेशान करने वाली भी है, जो न्यायपालिका की छवि धूमिल करने के लिए आधारहीन थ्योरी गढ़ती है और अदालती फैसलों को प्रभावित करने के भी प्रयास करती है।"
जताई चिंता
चिट्ठी में पूर्व जजों ने न्यायापालिका को प्रभावित करने वाले एक खास पैटर्न की ओर भी इशारा किया। उन्होंने लिखा, "हमने गौर किया है कि ग्रुप का इस तरह का व्यवहार खासतौर से ऐसे मामलों में नजर आता है, जिनका सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक महत्व हो। हम दुष्प्रचार फैलाने के हथकंडो और न्यायपालिका के खिलाफ जनभावनाएं भड़काने को लेकर चिंतित हैं, जो न सिर्फ अनैतिक है बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए भी खतरनाक है। अपने मनमाफिक चुनिंदा न्यायिक फैसलों की सराहना और आलोचना करने से अदालत और न्यायिक प्रक्रिया को कमतर करता है।"
दबाव कम करने की अपील
पूर्व जजों ने चिट्ठी में कहा कि, "हम सुप्रीम कोर्ट की अगुवाई में न्यायपालिका से आग्रह करते हैं कि इस तरह के दबावों को खत्म करें और ये सुनिश्चित करें कि हमारी कानूनी प्रणाली की शुचिता और स्वायत्ता सुरक्षित रहे। ये जरूरी है कि न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र का स्तंभ बना रहे और राजनीतिक हितों के जाल से बचा रहे। "
मदद के लिए तैयार
चिट्ठी में पूर्व जजों ने न्यायपालिका की रक्षा के लिए एकजुटता दिखाते हुए कहा, "हम न्यायपालिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और इसकी गरिमा और निष्पक्षता बचाए रखने के लिए हर तरह की मदद करने के लिए तैयार हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस चुनौतिपूर्ण समय में आपका मार्गदर्शन और नेतृत्व न्याय एवं समानता के स्तंभ के तौर पर न्यायपालिका की सुरक्षा करेगा।