कानून दिवस और संविधान दिवस: भारत एक जीवंत लोकतंत्र और भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है -सीजेआई
- सीजेआई ने अपने संबोधन में बार के महत्व और योगदान पर प्रकाश डाला
- देश में उल्लेखनीय बदलाव लाने के लिए संविधान ने अहम मदद की
- बार का भी समान रूप से प्रतिनिधित्व करती है न्यायपालिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है। देश में उल्लेखनीय बदलाव लाने के लिए संविधान ने अहम मदद की है। उन्होंने ये सब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में कही। अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणि और एससीबीए अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी सभा को संबोधित किया।
सीजेआई ने अपने संबोधन में कहा ‘बार’ के महत्व और योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘हम अक्सर न्यायपालिका को न्यायाधीशों के रूप में संदर्भित करते हैं, लेकिन न्यायपालिका ‘बार’ का भी समान रूप से प्रतिनिधित्व करती है।’’
सीजेआई ने कहा कि भारत की यात्रा परिवर्तनकारी रही है। सीजेआई ने आगे कहा कि भारत ने विभाजन और उसके बाद की भयावहता के बीच बड़े पैमाने पर निरक्षरता, गरीबी और संतुलन सुनिश्चित करने वाले मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली के अभाव से लेकर अब नेतृत्व करने वाला एवं आत्मविश्वास से भरा देश बनने तक का सफर तय किया है।
उन्होंने आगे कहा देश की इस यात्रा के पीछे भारत का संविधान है, जिसने यह परिवर्तन लाने में मदद की है। संविधान सभा द्वारा 1949 में भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की याद में 2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।
सीजेआई ने कहा मैं बार के बिना न्यायपालिका की कल्पना नहीं कर सकता। जहां बार के सदस्य न्यायपालिका का उतना ही हिस्सा हैं जितना कि न्यायाधीश। सीजेआई ने कहा कि वह 1983 से 2005 तक ‘बार’ के सदस्य थे और इसके बाद उन्हें न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उन्होंने कहा कि ‘बार’ के सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल जस्टिस के रूप में उनके कार्यकाल से लंबा है।