ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर भिंडरावाले समर्थकों की नापाक करतूत, स्वर्ण मंदिर में दिखाए गए भिंडरावाले के पोस्टर, लगाए नारे
- भिंडरावाले के समर्थन में लगे नारे
- 1 से 6 जून 1984 में चला ऑपरेशन ब्लू स्टार
- 493 लोगों की हुई थी मौत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑपरेशन ब्लूस्टार की 39वीं बरसी के मौके पर आज स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरावाले के समर्थकों की नापाक करतूत सामने आई है। समर्थकों द्वारा श्री हरिमंदिर साहिब में श्री अकाल तख्त पर खालिस्तानी आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाले के बैनर और पोस्टर दिखाए गए, साथ ही खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए गए। इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी है। जानकारी के मुताबिक सरकार इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है।
मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुंचे समर्थक
ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर बड़ी संख्या में सिख श्रृद्धालुओं के अकाल तख्त पहुंचने की उम्मीद थी। जिसे देखते हुए पुलिस अलर्ट पर थी। यहां सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रखने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां तैनात थीं। लेकिन इसके बावजूद भी कई लोग स्वर्ण मंदिर तक पहुंच गए थे। इस दौरान लोगों ने मंदिर में अंदर घुसने की कोशिश भी की। उनके हाथों में तलवारें थीं जिन्हें लहराते हुए वो खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। साथ ही कुछ लोग भिंडरावाले के पोस्टर और तस्वीर भी दिखा रहे थे।
एकजुट हो सिख कौम
इस मौके पर श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख समुदाय से एक होने की अपील की। उन्होंने कहा, 'हमारी कौम और धार्मिक संस्थाएं अभी अलग-अलग हैं। इन्हें श्री अकाल तख्त की अगुवाई में एकजुट करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा, हमारी एकता के लिए जरूरी है कि सिख संगठनों और अकाली दलों को मतभेद दूर करने होंगे।' जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, 'हमें अपनी बिखरी हुई ताकत को एक कर सरकारों के खिलाफ जंग शुरू करनी है। उन्होंने कहा, सरकार से इंसाफ की उम्मीद नहीं की जा सकती। हमारी कौम को राजनीतिक और आर्थिक रूप से मजबूत होकर न्याय के लिए संघर्ष शुरू करना पड़ेगा।'
ऑपरेशन ब्लूस्टार का जिक्र करते हुए जत्थेदार ने कहा, 'सरकार ने जो घाव हमें दिए हैं वो बहुत गहरे हैं। उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। सरकारों से अपेक्षा रखना बेवकूफी है। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है हम कमजोर हैं बस हमारी शक्ति बिखरी हुई है। 1984 के बाद हम यहां आते हैं, झुकते हैं और वापस चले जाते हैं लेकिन अब समय हमारे आपसी मतभेदों को दूर करने का है।'
क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार?
70 के दशक से अकाली दल पंजाब को स्वायत्त राज्य बनाने की मांग कर रहा था। इसी को लेकर आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में मांग की गई कि केंद्र सरकार केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार को छोड़ कर बाकी सभी विषयों पर राज्य को अधिकार दे दे। समय के साथ यह मांग जोर पकड़ती गई जिससे पंजाब में हिंसक प्रदर्शन होने लगे। 1983 में पंजाब पुलिस के पुलिस उपमहानिरिक्षक एएस अटबाल की दिल दहाड़े स्वर्णमंदिर परिसर में हत्या हो गई। इसके साथ ही राज्य के हर जिले में हिंसक प्रदर्शन होने लगे, लोगों की हत्याएं होने लगी। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 1984 तक इन घटनाओं में 298 लोगों की मौत हुई थी। पंजाब में हिंसक घटनाओं को बढ़ता देख तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पंजाब सरकार को बर्खास्त कर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।
पंजाब को हिंसा की आग में झोकने के लिए भिंडरावाले पर आरोप लगने लगे। उसके प्रभाव से पंजाब धीरे-धीरे अलगाववाद की गिरफ्त में आने लगा था। 1984 में अपने समर्थकों के साथ भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर में शरण ली और इंदिरा गांधी सरकार को सीधे रूप से टकराने की चुनौती दी। जिसके बाद भिंडरावाले और उसके साथियों को स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालने के लिए 1984 में 1 जून से लेकर 6 जून के बीच ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया। इस दौरान राज्य के ट्रेन और बस सेवाओं पर रोक लगा दी गई। दूरसंचार सेवा रोक दी गई। विदेशी को राज्य से बाहर निकाल दिया गया।
3 जून को भारतीय सेना ने स्वर्णमंदिर को चारों तरफ से घेर लिया। 4 जून को सेना ने गोलाबारी शुरू की। लेकिन जब अलगाववादियों ने भी जवाबी फायरिंग की तो सेना को उन्हें मारने के लिए बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक बुलाने पड़े। दोनों तरफ से हुई गोलाबारी में पूरा मंदिर परिसर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। अकाल तख्त तबाह हो गय़ा। यहां तक कि यहां स्थित ऐतिहासिक लाइब्रेरी भी जल गई। अंत में सेना ने अलगाववादी भिंडरावाले और समर्थकों को मार गिराया।
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक इस ऑपरेशन में 493 लोगों की मौत हुई। वहीं करीब 86 लोग घायल हुए। हालांकि इन आंकड़ों पर अभी तक विवाद चल रहा है। कहा जाता है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा थी।