पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को तोहफे में दिया टसर रेशम का कपड़ा, जानिए क्या है इसकी विशेषता
- अमेरिकी दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को तोहफे में दिया टसर रेशम का कपड़ा
- जानिए टसर रेशम की खासियत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरे पर गए हुए हैं। जहां पर उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन से मुलाकात की। जो बाइडेन उनकी पत्नी और अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन ने पीएम मोदी का शानदार तरीके से स्वागत किया। आज पीएम के दौरे का दूसरा दिन है। वाशिंगटन में आज बुधवार को अमेरिकी सेना ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानित किया। इसके बाद पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के साथ व्हाइट हाउस पहुंचे। जहां पर उपहारों का आदान प्रदान किया गया। पीएम मोदी ने अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को 7.5 कैरेट का ग्रीन डायमंड भेंट की। जबकि जो बाइडेन को पीएम मोदी ने विशेष चंदन का डिब्बा, भगवान गणेश की मूर्ती, हॉलमार्क चांदी का सिक्का जैसे कई गिफ्ट दिए हैं।
इन सभी उपहारों का अपना एक अलग महत्व है। इसमें भारत की सभ्यता की झलक दिख रही थी। ये तोहफे अलग-अलग राज्यों से लिए गए थे। इन्हीं तोहफों में झारखंड में बुना हुआ टसर रेशम का कपड़ा भी शामिल है। तो चलिए जानते हैं झारखंड के इस टसर रेशम के कपड़े की खासियत-
The box contains Ghee or clarified butter sourced from Punjab; a handwoven textured tussar silk cloth sourced from Jharkhand; long-grained rice sourced from Uttarakhand; Gud or Jaggery sourced from Maharashtra. pic.twitter.com/6ooo0KlQWE
— ANI (@ANI) June 22, 2023
क्या है टसर सिल्क
टसर सिल्क को ज्यादातर वाइल्ड इंडियन सिल्क के नाम से जाना जाता है। इस सिल्क का निर्माण एक कीड़ा करता है, जो खाने में आसन और अर्जुन पेड़ खाता है। इस कीड़ा मुख्य रूप से झारखंड में पाया जाता है। देश भर की 70% टसर सिल्क का निर्माण झारखंड में ही होता है। टसर रेशम प्राकृतिक गहरे सुनहरे रंग का होता है। गर्मियों के मौसम के लिए टसर सिल्क से बनी साड़ियां काफी पसंद की जाती हैं। भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी ये बेहद पसंद हैं। वो अक्सर टसर सिल्क की साड़ियां पहनें दिखाई देती हैं।
कैसे होता है प्रोडक्शन
इसके प्रोडक्शन का काम 45 दिन से 55 दिनों में पूरा किया जाता है। झारखंड में टसर सिल्क को वृक्षों पर जीवित रहने वाले रेशम के कीड़ों के लार्वा के खोल के रोप में निर्मित कोकून से प्राप्त किया जाता है। इसको काफी बारिकी से और लबें समय में बना कर तैयार किया जाता है। टसर सिल्क को "शहतूत" रेशम की तुलना में अधिक बनावट वाला माना जाता है, लेकिन इसमें छोटे फाइबर होते हैं, जो इसे कम टिकाऊ बनाता है।
टसर सिल्क से बनते हैं ये कपड़े
झारखंड में बनने वाले इस खास टसर सिल्क से महिलाओं के लिए साड़ियां और पुरुषों के लिए धोतियां बनाई जाती हैं। ये बेहद ही खास होती हैं। देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भी अक्सर टसर सिल्क की साड़ी पहने देखा जाता है। इसकी बनीं साड़ियां बेहद सादगी भरी होती हैं। ये पहनने पर बेहद ही सुंदर और क्लासी लगता है। सही टसरा की पहचान करने के लिए इसे जला कर चेक किया जाता है अगर इसके जलने पर बाल जलने जैसी स्मेल आती है तो सिल्क को असली माना जाता है।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (डॉक्टर/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।