इजरायल-हमास युद्ध: कटे तरबूज से आखिर क्यों चिढ़ता है इजरायल? जानिए आखिर कैसे बना फिलिस्तीन के समर्थन का सबसे बड़ा प्रतीक
- बना इजराइली हमलों के विरोध का प्रतीक
- 55 साल पुराना है इसका इतिहास
- फिलिस्तीन के झंडे से है खास कनेक्शन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजराइल और हमास के बीच भयंकर युद्ध जारी है। इजराइली सेना लगातार गाजा पट्टी के कई इलाकों पर एयर स्ट्राइक के जरिए अपने हमलों को अंजाम दे रही है। इस बीच, इजराइली हमलों के विरोध में फिलिस्तीनी समर्थकों को तरबूज की तस्वीर और बैनर के साथ गाजा से लेकर लंदन की सड़कों या फिर मार्केट में घूमते हुए देखा जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में तरबूज की तस्वीर का उपयोग क्यों किया जा रहा है?
55 साल पुरानी है कहानी
तरबूज को विरोध के प्रतीक के रुप में उपयोग करने के पीछे 55 साल पुरानी कहानी है। दरअसल बात साल 1967 की है जब इजराइल और अरब देशों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा हुआ था। उस समय गाजा और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीन की ओर से इजरायल के विरोध में भयंकर प्रदर्शन किए जा रहे थे। जिसमें फिलिस्तीनी नागरिक झंडा लहराकर इजरायल का विरोध कर रहे थे। जिसे देखते हुए इजराइल ने इस प्रदर्शन पर बैन लगा दिया था। इसके बाद इजराइल यहीं नहीं रुका उसने 1980 में रामल्लाह की एक आर्ट गैलरी को भी बंद करा दिया। तीन आर्टिस्टों के द्वारा चलाई जाने वाली इस गैलरी पर इजरायल ने आरोप लगाया था कि वहां राजनीतिक चीजों का निर्माण हो रहा है। साथ ही तीनों कलाकारों पर उनकी कलाकारी में फिलिस्तीन के झंडे के रंग (लाल, हरा, काला और सफेद) को प्रदर्शित करने का भी आरोप लगाया था।
इस मामले में इजराइली सेना ने सभी आरोपी कलाकारों को पूछताछ के लिए भी बुलाया। इस दौरान, गैलरी का संचालन करने वाले शख्स, जिसका नाम स्लिमैन मंसूर था उसने एक बयान दिया था। जिसमें उसने बताया कि उन्हें इजराइल के एक पुलिस अफसर ने चेतावनी थी कि वे लोग इजराइली सेना की अनुमति के बिना गैलरी को शुरू नहीं कर सकते हैं। साथ ही, उस पुलिस अधिकारी ने सख्ती के साथ ये भी कहा था कि फिलिस्तीन के झंडे के रंगों में किसी भी चीज को पेंट न किया जाए। आर्टिस्ट ने आगे बताया कि उस दौरान पुलिस अफसर ने पास में रखे एक तरबूज की ओर इशारा करते हुए कहा कि प्रदर्शन में इस फल का प्रयोग करना भी इजरायली सेना के बनाए नियम के विरुद्ध है। अधिकारी ने इसका कारण बताते हुए कहा कि जब तरबूज को काटा जाता है तो उसके रंग भी फिलिस्तीनी झंडे के रंगों से काफी मिलते हैं।
दुनिया में कटे हुए तरबूज होते है फिलिस्तीन का प्रतीक
इजराइली अधिकारी के ऐसा कहने के बाद दुनियाभर में कटा हुआ तरबूज फिलिस्तीन के समर्थन का प्रतीक बन गया। येरूशलम में जन्मे एक प्रसिद्ध लेखक महदी सब्बाग बताते हैं, "मैं कहीं भी कटा हुआ तरबूज देखता हूं तो मैं लोगों की भावनाओं के ज्वार को समझने लगता हूं। वह कहते हैं कि लोग इजराइल वाले इलाके में भी इसे प्रदर्शित करते हैं और कई बार इजराइल की सेना ऐसा करने वाले लोगों को अरेस्ट भी कर लेती है।"
कटे तरबूज को लेकर हुए थे कई प्रदर्शन
आर्टिस्ट मंसूर ने बताया कि साल 1990 में कटे हुए तरबूज को लेकर प्रदर्शन हुए थे। अब कई दशकों के बाद दोबारा इस प्रतीक का उपयोग फिलिस्तीनी समर्थक कर रहे हैं। इसके अलावा पिछले साल भी इजराइल ने सार्वजनिक स्थानों पर फिलिस्तीनी झंडे के प्रदर्शन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था, जिसको लेकर काफी विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। जिसके बाद तेल अवीव के एक ऐक्टिविस्ट ग्रुप ने वहां कि टैक्सियों पर कटे हुए तरबूज वाले पोस्टर चिपकाने शुरू कर दिए थे। इन पोस्टर के नीचे लिखा गया था, 'यह फिलिस्तीन का झंडा नहीं है।' इस तरह कटा तरबूज फिलिस्तीन के समर्थन का सबसे बड़ा प्रतीक बन गया।