अमेरिका में फिर बजा भारतवंशी का डंका: कौन हैं काश पटेल? जिन्हें ट्रंप ने सौंपी अहम जिम्मेदारी, राम मंदिर पर दिया था बड़ा बयान
- भारतीय मूल के काश पटेल को मिली बड़ी जिम्मेदारी
- ट्रंप ने बनाया एफबीआई का प्रमुख
- क्रिस्टोफर रे की लेंगे जगह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक बार फिर भारतीय मूल का शख्स अमेरिका में बड़ी जिम्मेदारी संभालेगा। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काश पटेल को FBI (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) का निदेशक के रूप में नामित किया है. ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर इसकी जानकारी दी।
उन्होंने लिखा, "मुझे यह ऐलान करते हुए गर्व हो रहा है कि कश्यप 'काश' पटेल फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के अगले निदेशक के रूप में काम करेंगे।" ट्रंप ने आगे लिखा, ‘काश एक शानदार वकील, इन्वेस्टिगेटर और 'अमेरिका फर्स्ट' वॉरियर हैं जिन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार को उजागर करने, न्याय की रक्षा करने और अमेरिकी लोगों की रक्षा करने में बिताया है।"
क्रिस्टोफर रे की जगह लेंगे
काश पटेल क्रिस्टोफर रे की जगह लेंगे, रे को 2017 में ट्रंप ने ही एफबीआई का प्रमुख बनाया था। कहा जाता है कि क्रिस्टोफर रे अपनी नियुक्ति के कुछ समय बाद अपने ट्रंप व उनके सहयोगियों के खिलाफ जाने लगे। वैसे तो एफबीआई प्रमुख का कार्यकाल दस साल का होता है लेकिन रे और एफबीआई की लंबे समय से हो रही सार्वजनिक आलोचनाओं के चलते उन्होंने ये निर्णय लिया। इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि ट्रंप उनके काम करने के तरीके से भी नाराज हैं।
वकील रह चुके हैं काश
काश पटेल के माता-पिता भारतीय हैं, जिनका गुजरात से नाता है। वे साल 1970 में कनाडा से अमेरिका पहुंचे थे। 44 वर्षीय काश पहले वकील रह चुके हैं। उनकी लिखी किताबें "गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ, एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी और द प्लॉट अगेंस्ट द किंग खासी लोकप्रिय रही हैं। इससे पहले वे साल 2017 में तत्कालीन ट्रंप सरकार के अंतिम महीनों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में भी काम कर चुके हैं।
राम मंदिर के समर्थन में दिया था बड़ा बयान
काश पटेल ने अयोध्या के राम मंदिर पर बयान देकर भारतीयों का ध्यान अपनी ओर खींचा था। उन्होंने कहा था कि विदेशी मीडिया अयोध्या के 50 सालों की बात कर रही है, लेकिन उसके 500 साल के इतिहास को भुला दे रही है। उन्होंने मंदिर निर्माण का विरोध करने वालों को घेरते हुए मंदिर को बनाए जाने का समर्थन किया था।