बांग्लादेश हिंसा: पुजारी कृष्ण दास के बाद ISKCON सदस्यों पर यूनुस सरकार का शिकंजा? वैध दस्तावेज होने के बावजूद नहीं मिली भारत में एंट्री

  • हिंदुओं पर हिंसा का सिलसिला जारी
  • इस्कॉन सदस्यों को बांग्लादेश की सीमा पर रोका
  • सराकार की अनुमति ना होने का दिया हवाला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-12-02 07:11 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में हिंदुओं के ऊपर हिंसा का सिलसिला बरकरार है। इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से देश में हिंसा भड़क उठी। जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक, अब इस्कॉन के अन्य सदस्यों को बांग्लादेश से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, जारी हिंसा के बीच दर्जनों ISKCON सदस्य, बेनापोल सीमा से भारत आ रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। सभी के पास तमाम वैध दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें सीमा के आगे जाने नहीं दिया। 

सीमा पार करने पर रोका

बेनापोल इमिग्रेशन पुलिस के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइयां ने एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि इस्कॉन सदस्यों के पास वैध दस्तावेज तो थे लेकिन सरकार की अनुमति नहीं थी। 

इस्कॉन के कई सदस्यों में से एक सदस्य तपंदर चेली थे जिनको सीमा पार करने से रोका गया। चेली ने बताया कि- हम भारत में हो रहे एक धार्मिक समारोह में भाग लेने आए थे, लेकिन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति ना होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया।

क्या है पूरा मामला?

बांग्लादेश के चटगांव में सोमवार (25 नवंबर) को इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास को अरेस्ट कर लिया गया था। जिसके बाद हिंदू समाज इस गिरफ्तारी का विरोध करने सड़कों पर उतर आए। वहीं, गुस्साए बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात के कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं पर हमला बोल दिया। जानकारी है कि इस हमले में 50 लोग जख्मी हुए थे। इसके अलावा हिंदुओं ने मौलवी बाजार में बड़ी रैली भी निकाली थी। लोग अपने-अपने हाथों में मशाल लेकर हर हर महादेव और जय सियाराम के जयकारे लगा विरोध प्रदर्शन किया। 

आपको बता दें कि, सिर्फ बांग्लादेश में नहीं बल्कि भारत में भी लोगों ने कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया था। 

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