बांग्लादेश हिंसा: क्या बांग्लादेश के हालातों पर गलत खबर दे रहा है भारत का मीडिया? यूनुस सरकार के नुमाइंदे ने लगाया बड़ा आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2024-12-04 09:36 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर तख्तापलट के बाद से हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। लेकिन यूनुस सरकार इसे स्वीकार करने के बजाय सफाई पेश कर रही है। यूनुस सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलग ने कहा कि, शेख हसीना के कार्यकाल के मुकाबले, बांग्लादेशी हिंदू अब ज्यादा सुरक्षित हैं। हालांकि, हिंसा की वीडियोज कुछ और ही बयान करती हैं। देखा गया है कि, जबसे यूनुस सरकार का शासन आया है तब से हिंसा की खबरें रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं उल्टा बढ़ गई हैं। आलग ने सफाई देने के साथ-साथ भारत की मीडिया पर भी गंभीर इल्जाम लगाए हैं।

प्रेस सचिव के आरोप 

प्रेस सचिव शफीकुल आलग ने भारतीय मीडिया पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में इस समय जो कुछ भी घटित हो रहा है, भारत उसे बढ़ा-चढ़ा के दिखा रहे हैं। सचिव का दावा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के समय, बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं पर अब के मुकाबले ज्यादा अत्याचार होते थे। लेकिन उन्हें दिखाया नहीं जा रहा था। वहीं, जब से यूनुस सरकार बनी है तब से हिंदू सेफ हैं। 

आलग ने कहा- हम जेंडर, रंग, जाती और नस्ल के परे जाकर मानव के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

कैसा है बांग्लादेश का माहौल?

बांग्लादेश में जब से यूनुस सरकार आई है जब से हिंदुओं पर हिंसा बढ़ गई है। देश में आए दिन मंदिरों को निशाना बनाया जाता है। हाल ही में इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास को चटगांव से अरेस्ट कर लिया गया था। उन पर देशद्रोह के आरोप लगे हैं। पुजारी कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद देश में हिंसा की आग भड़क उठी। 

जमानत याचिका पर टली सुनवाई

आपको बता दें कि, मंगलवार (3 दिसंबर) को बांग्लादेश की कोर्ट ने कृष्ण दास की जमानत याचिक पर सुनवाई की तारीख को एक महीने आगे बढ़ा दिया। इसका मतलब यह है कि दास को एक महीना पुलिस हिरासत में ही रहना होगा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सुनवाई से पहले उनके वकील पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने घर में घुसकर हमला कर दिया था। वह इतनी बुरी तरह घायल हुए कि उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। जिसके बाद वकील ने कल (3 दिसंबर) होने वाली सुनवाई में पेश होने से इनकार कर दिया। जिससे कोर्ट को आगे की तारीख देनी पड़ी। 

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