सियासी बवाल: शेख हसीना की वापसी पर अड़ा बांग्लादेश, क्या प्रत्यर्पण संधि के तहत पूर्व पीएम को भेजने पर मजबूर होगा भारत?

  • प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत ले सकता है बड़ा फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-19 12:24 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में तख्तापलट हुए 2 महीने 14 दिन हो चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कार्यवाहक और नोबल विजेता मोहम्मद युनुस देश की कमान संभाल रहे हैं। इसके बाद से ही शेख हसीना भारत में शरणार्थी के तौर पर रुकी हुई हैं। हालांकि,अब भी बांग्लादेश सरकार के निशाने पर हसीना हर वक्त रहती हैं। इस बीच बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने शुक्रवार को शेख हसीना को लेकर भारत पर बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यदि भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण से मना करता है। तो बांग्लादेश इसका कड़ा विरोध करेगा।

बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ जारी हुआ अरेस्ट वारंट

बता दें, बांग्लादेश की इंटरनेशल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को शेख हसीना के खिलाफ मानवाधिकारों को तोड़ने के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसके बाद कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री को 18 नवंबर तक पेश होने के लिए कहा था। इस संबंध में अब कानून मंत्री की ओर से टिप्पणी की गई है।

कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने बांग्लादेशी न्यूज चैनल से खुलकर इस मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के पास पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की कई कानूनी सुविधाएं हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही प्रत्यर्पण संधि है। लेकिन भारत अन्य नियमों का जिक्र करके इसे नकार सकता है। हालांकि, यदि ईमानदारी और कानून की तौर पर चला जाए तो भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बाध्य है।

बांग्लादेश ने भारत को लेकर दिया बयान

भारत मंत्रालय ने बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जाने पर बयान जारी किया है। मंत्रालय ने कहा है कि भारत में सुरक्षा कारणों के चलते शेख हसीना रह रही हैं। बता दें, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना अपनी छोटी बहन के साथ भारत आ गई थी। इसके बाद से वह भारत में किसी अज्ञात जगह पर रुकी हुई हैं। इस बीच बांग्लादेश की आंतरिक सरकार ने हसीना का राजयनयिक पासपोर्ट खारिज कर दिया है।

भारत में शेख हसीना के रुकने के बाद से ही बांग्लदेश की राजनीति तेज हो गई हैं। इससे पहले सितंबर में अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने कहा था कि यह भारत पर निर्भर करता है कि वह शेख हसीना को बांग्लादेश भेजना चाहते हैं या नहीं। इतना ही नहीं बल्कि, एक अन्य नेता ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हसीना को शरण देना एक अपराधी और हत्यारे को शरण देने के समान है।

जानें क्या है भारत-बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि

आज से 11 साल पहले भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि हुई थी। इस संधि को आसान बनाते हुए भारत और बांग्लादेश ने गिरफ्तारी वारंट और सबूत के अदान प्रदान के नियम को रद्द कर दिया था। हालांकि, इस संधि में एक नियम भी कहता है कि जब किसी व्यक्ति के राजनीतिक अपराध से जुड़े मामले में उसके प्रत्यर्पण का प्रयास किया जाता है। तो ऐसी स्थिति में उसे इनकार किया जा सकता है।

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