भारत-रूस यात्रा: भारत और रूस एक साथ मिलकर बनाएंगे सुखोई जेट, नई पार्टनरशिप से कैसे मजबूत होगी देश की सुरक्षा?
- भारत और रूस की सुरक्षा में साझेदारी
- एचएएल में विमानों का निर्माण
- भारत के उत्पादों की देश भर में मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ वार्तालाप करके दोनों देशों के बीच 9 बड़े समझौतों पर मुहर लगाई है। जिसमें आर्थिक स्थितियों के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा और हथियार उत्पादन पर चर्चा हुई है। दोनों देश अपनी अगली शेयर की हुई योजना में महाराष्ट्र के नासिक में सुखोई-30 को बनाने का काम शुरू कर सकते हैं। स्पुतनिक इंडिया ने सूत्रों के हिसाब से कहा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए बातचीत चल रही है। साथ ही आने वाले समय में भारत में सुखोई-30 की बड़े स्तर पर मैनुफैक्चरिंग शुरू हो सकती है। पीएम मोदी की रूस यात्रा के बाद संयुक्त बयानों में कहा गया है कि दोनों देश रूसी हथियार के भागों की मैनुफैक्चरिंग, देखभाल और मरम्मत की ओर काम करने पर सहमती दिखा रहे हैं। साथ ही रूसी प्रौद्योगिकी पर आधारित हथियारों के संयुक्त उत्पादन को भारत की जरूरतें को पूरा करने के बाद एक्सपोर्ट भी किया जाएगा।
एचएएल में विमानों का निर्माण
स्पुतनिक इंडिया को सूत्रों से पता चला है कि नासिक में स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड प्लांट में भारतीय वायुसेना के लिए रूसी मूल के लड़ाकू विमानों के निर्माण पर बातचीत चल रही है। ये प्लांट 1964 में रूस के सहयोग से शुरू किया गया था। जिसके बाद मिग-21 और सुखोई-30 लड़ाकू विमानों की देखभाल और मैनुफैक्चरिंग में शामिल है। इसी के चलते ऐसा माना जा रहा है कि इस प्लांट में सुखोई-30 लड़ाकू विमान का निर्माण शुरू हो सकता है। साथ ही इस समय भारतीय वायु सेना के पास सबसे ज्यादा सुखोई-30 विमान हैं। भारत और रूस के बीच हुए समझौते में 272 सुखोई-30 विमान का सौदा हुआ था। जिसमें से काफी संख्या में विमानों का उत्पादन एचएएल प्लांट में ही हुआ था। पूर्व ब्रह्मोस प्रमुख सुधीर मिश्रा का सुखोई-30 विमान को लेकर कहना है कि ये एक आधुनिक विमान है। इसका इस्तेमाल अगले बीस से तीस सालों तक होगा। इसलिए इसे देश में बनाने से ना केवल देश की जरूरतें पूरी होंगी। साथ ही एक्सपोर्ट मांगें भी पूरी हो सकती हैं। इस प्लांट का इस्तेमाल भविष्य में रूसी मूल के विमानों वाले देश के विमानों की मरम्मत और देखभाल के लिए भी किया जा सकता है।
भारत में संयु्क्त उत्पादों की मांग
तकनीक ट्रांसफर के बाद भारत में बने संयुक्त उत्पादों की कई देशों में मांग है। संयुक्त रक्षा उत्पादों को वियतनाम और फिलिपींस जैसे अन्य देशों के साथ अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों में एक्सपोर्ट करने की आशंका भी है। भारत और रूस के संयुक्त उत्पादों में कई देशों ने रूचि दिखाई है। साथ ही सुधीर कुमार मिश्रा का ये भी कहना है कि यह एक अच्छा और सफल बिजनेस मॉडल हो सकता है। धीरे-धीरे भारतीय रक्षा उद्योग को भी इससे लाभ मिलेगा। रूस और भारत लंबे समय से साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसलिए कम समय में ही अच्छे नतीजे सामने आएंगे।