द्विपक्षीय संबंध: पाकिस्तान, अजरबैजान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, सहयोग को व्यापक बनाने पर सहमत
- आर्मेनिया का साथ देने से भारत से नाराज रहता है अजरबैजान
- अजरबैजान का मददगार इजराइल, देता है हथियार
- आर्मेनिया को भारत, ग्रीस, ईरान का मिलता है साथ
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों ने बीते दिन गुरुवार को व्यापार, रक्षा, जलवायु कार्रवाई और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी सहित आपसी हित के सभी क्षेत्रों में सहयोग का दायरा बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने यहां एक बयान में यह जानकारी दी।
न्यूज एजेंसी यूनीवार्ता के मुताबिक पाकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा के दौरान पाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार और अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव के बीच एक बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता भी व्यक्त की। वे संसदीय आदान-प्रदान को बढ़ाने, सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने और छात्रों, शिक्षाविदों और व्यापारिक लोगों सहित लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर भी सहमत हुए। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष जलवायु कार्रवाई और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और विशेषकर ऊर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय निवेश बढ़ाने के लिए आर्थिक सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने पर सहमत हुए।
भारत-आर्मेनिया के बीच हुई थी 6 हजार करोड़ की डिफेंस डील
आपको बता दें पिछले साल आर्मेनिया ने भारत के साथ एक डिफेंस डील की थी। इसके लिए दोनों देशों में करीब 6 हजार करोड़ रुपए का समझौता हुआ। इसके तहत भारत ने आर्मेनिया को देश में निर्मित एंटी एयर सिस्टम आकाश सप्लाई करने की डील हुई थी। हवाई हमले रोकने वाले इस सिस्टम में तोप, गोला-बारूद और ड्रोन शामिल हैं। इससे पहले भारत-आर्मेनिया में पिनाका रॉकेट और मिसाइल के लिए भी डील हुई थी। भारत और आर्मेनिया की इस डिफेंस डील पर अजरबैजान ने नाराजगी जाहिर की थी।
पाकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा पर गए अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव ने पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया। जेहुन बायरामोव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर अजरबैजान की स्थिति हमेशा एक जैसी रही है। अजरबैजान कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थक है। हमारा मानना है कि कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत होना चाहिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अजरबैजान के विदेश मंत्री ने नागोर्नो-काराबाख मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार के राजनीतिक और नैतिक समर्थन की भी सराहना की। इसके जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने बारयामोव के कश्मीर मुद्दे को उठाने पर उनका धन्यवाद दिया।
आपको बता दें भारत अर्मेनिया को समर्थन देता है। जिसके चलते अजरबैजान भारत से नाराज रहता है। कई सालों से अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच सीमा विवाद के चलते तनाव बना रहता है। नागोर्नो-काराबाख इलाका तीन दशक से भी अधिक समय से अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। दोनों देश इस इलाके पर कब्जा करना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय रूप से ये क्षेत्र अजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन यहां रहने वाली अधिकांश आबादी आर्मेनियाई मूल की है। यही वजह है कि दोनों देश इस इलाके को अपना हिस्सा बताते हैं।
1991 में नागोर्नो-कारबाख के लोगों ने अजरबैजान से आजादी और खुद को आर्मेनिया का हिस्सा घोषित कर दिया था। इसके बाद से आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच इस हिस्से पर कब्जा करने को लेकर संघर्ष होता रहता है। आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच अब तक 2 बड़ी लड़ाईयां हो चुकी हैं। दोनों देशों के बीच 2023 में भी झड़प हुई थी। इस इलाके में चलने वाले संघर्ष की वजह से अभी तक 30 हजार से ज्यादा आम नागरिक मारे जा चुके हैं।
अजरबैजान को तुर्की, पाकिस्तान के अलावा इजराइल का भी समर्थन मिलता है। अजरबैजान को लेकर दावा किया जाता है कि वह इजराइल को ईरान के खिलाफ खुफिया ऑपरेशन का संचालन करने में मदद करता है। इसके बदले में इजराइल, अजरबैजान को ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम सहित अन्य हथियारों से मदद करता है।
आर्मेनिया को भारत सहित ईरान, फ्रांस और ग्रीस का समर्थन मिलता है। विशेषज्ञों के मुताबिक तुर्की और अजरबैजान के बीच घनिष्ठ संबंध होने के कारण ग्रीस, आर्मेनिया का साथ देता है। गौरतलब है कि ग्रीस और तुर्की के बीच लंबे समय से दुश्मनी है। अजरबैजान को इजराइल का सपोर्ट मिलने की वजह से ईरान, आर्मेनिया का मददगार है। इसके साथ ही पाकिस्तान का समर्थन करने की वजह से आर्मेनिया को भारत का साथ मिलता है। आर्मेनिया ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए भारत से कई हथियारों की खरीद की है।