ध्वस्त हो रही अफगान की अर्थव्यवस्था में परिवारों को कर्ज चुकाने के लिए अपने बच्चों को बेचने पर विवश होना पड़ रहा है।

मानवीय संकट ध्वस्त हो रही अफगान की अर्थव्यवस्था में परिवारों को कर्ज चुकाने के लिए अपने बच्चों को बेचने पर विवश होना पड़ रहा है।

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-19 11:58 GMT
ध्वस्त हो रही अफगान की अर्थव्यवस्था में परिवारों को कर्ज चुकाने के लिए अपने बच्चों को बेचने पर विवश होना पड़ रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानियों की जिंदगी बदतर हो गई है। नौकरी औऱ व्यवसाय छूटने के बाद अब परिवारों पर कर्जे का बोझ लदता जा रहा है। दो जून की रोटी के भी लाले पड़ने लगे हैं। ऐसे में खाने और कर्ज चुकाने के लिए इन लोगों को अपने बच्चों को बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
एपी एजेंसी से जारी फोटो और एक निजी चैनल न्यूज 18 के मुताबिक अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था लगभग ढह चुकी है, तमाम उद्योग धंधे जो पिछले दो दशक में लगाए गये थे, वो अब बंद पड़े हैं। ऐसी स्थिति में मजबूर विवश मांओं ने अपने बच्चों को बेचना शुरू कर दिया है। बच्चों को बेचने के बाद मांओं की जो रोती कहानियां सामने आ रही हैं, वो बेहद दर्दनाक चिंतनीय हैं। वहीं, तालिबान के एक अधिकारी ने कहा कि अफगानों को कुछ महीने तक संघर्ष करने की आदत डालनी पड़ेगी। एक तालिबान अधिकारी ने कहा, "हम 20 साल तक जिहाद लड़ते रहे, हमने अपने परिवारों के सदस्यों को खो दिया, हमारे पास भी भोजन नहीं था, और अंत में हमें सरकार बनाने का मौका मिला है, ऐसे में अगर लोगों को कुछ महीने संघर्ष करना पड़े, तो क्या?"

कर्ज की कीमत संता

खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के पश्चिमी शहर हेरात में एक घर की  साफ सफाई का काम करने वाली एक बेसहारा मां ने बताया कि उस पर 40000 रुपये का कर्ज है। उसने एक व्यक्ति से परिवार के भरण-पोषण के लिए पैसे लिए थे। सलेहा नाम की इस महिला को कर्जदाता ने कहा कि अगर वह अपनी तीन साल की बेटी को उसे बेच देती है तो वह उसके कर्ज को माफ कर देगा।

खाने की मुसीबत

देश की मुद्रा में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं, खाने की सामान्य चीजों की सप्लाई नहीं होने से बढ़ती महंगाई आसमान पर पहुंच गई हैं। इन सब कारणों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में खाद्य सामग्री जल्द ही खत्म हो सकती है। जिसे लेकर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने चिंता व्यक्त करते हुए दुनियाभर के देशों से अनुरोध किया है कि वे अफगान अर्थव्यवस्था में कैश फ्लो बढ़ाए, ताकि ये फिर जिंदा हो सके।
आपको बता दें अफगान अर्थव्यवस्था का तीन चौथाई हिस्सा अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर करता है। अफगानिस्तान की मुसीबत इसलिए औऱ अधिक बढ़ गई है, क्योंकि अमेरिका के साथ कई मुल्कों ने इसकी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मिलने वाली सहायता पर रोक लगा दी है।

भूख की मार

तालिबान के सत्ता संभालने के बाद अफगानिस्तान में बढ़ती महंगाई से परेशान होकर लोग पेट की भूख शांत करने के लिए अपने घऱ की कीमती चीजों की कौड़ी के भाव में बेचने काबुल के बाजारों में पहुंच रहे है। अफगानिस्तान में आर्थिक पतन के बेहद घातक दुखद परिणाम देखने को मिल रहे हैं और देश की करीब एक तिहाई आबादी 150  रुपये प्रतिदिन से कम खर्च पर जी रही है। आटा, दाल और तेल की कीमत दोगुना से ज्यादा हो चुके । काबुल के बाजारों में लोग अपना टीवी और फ्रीज बेचने के लिए पहुंच रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय चिंता
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी देते हुए चिंता व्यक्त की है कि  अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहराता जा रहा है। मानवीय संकट के विकराल रूप के चलते अफगान के करीब एक करोड़ 80 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। अब लोगों को धन कमाने के लिए अलग अलग उपायों का सहारा लेना पड़ रहा है।

फोटो क्रेडिट एपी
 

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