यूक्रेन और रूस को फिर एक देखना चाहते हैं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, क्या ये है ‘एक रूस’ का प्लान!
रूस-यूक्रेन विवाद यूक्रेन और रूस को फिर एक देखना चाहते हैं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, क्या ये है ‘एक रूस’ का प्लान!
- पूर्वी यूक्रेन में दोनेत्स्क और लुहांस्क रूस समर्थित विद्रोहियों का घर है
- राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बिना किसी युद्ध के यूक्रेन को तीन हिस्सों में बांटा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस विवाद के बावजूद भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बिना किसी युद्ध के यूक्रेन को तीन हिस्सों में बांट दिया है। माना जा रहा है कि पुतिन की इस कूटनीति के बाद पश्चिमी देशों को बड़ा झटका लगा है। गौरतलब है कि व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो पूर्वी क्षेत्रों को स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी है। इसके साथ ही रूस ने यह भी घोषणा की है कि वह इन क्षेत्रों में यूक्रेन के सैन्य आक्रमण को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
रूसी राष्ट्रपति ने उन राज्यों को स्वतंत्र देश की मान्यता दी है, जहां पर लंबे समय से मांग भी उठ रही थी। रूस समर्थक इसके लिए 2014 से ही लड़ रहे थे। पूर्वी यूक्रेन में स्वघोषित पीपल्स रिपब्लिक ऑफ दोनेत्स्क और लुहांस्क रूस समर्थित विद्रोहियों का घर है। रूस के इस फैसले के बाद जहां दोनों इलाकों में जश्न का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी देशों में आशंकित हैं। व्लादिमीर पुतिन के फैसले को लेकर यूक्रेन के विद्रोही काफी उत्साहित है।
दोनेत्स्क और लुहांस्क विद्रोहियों का गढ़ माना जाता है
यूक्रेन के दो राज्य रहे दोनेत्स्क और लुहांस्क में रूसी समर्थकों की भरमार है। इसलिए इस इलाके को विद्रोहियों का गढ़ भी माना जाता है। गौरतलब है कि रूस ने जब साल 2014 में क्रीमिया पर कब्जा किया था। तब से ही दोनेत्स्क और लुहांस्क में विद्रोही सक्रिय हो गए थे। रूस समर्थक बलों ने क्रीमिया पर कब्जे के बाद दोनेत्स्क और लुहांस्क के सरकारी भवनों और कार्यालयों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था।
माना जा रहा है कि तभी से ही दोनेत्सक और लुहांस्क के लिए व्लादिमीर पुतिन योजना बनाना शुरू कर दिए थे क्योंकि वहां के लोगों से जनसमर्थन मिल रहा था। अब दुनिया के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन का विभाजन रातों-रात कैसे कर दिया।
पुतिन इन रणनीतियों पर कर रहे थे काम?
जानकारों का कहना है कि पुतिन ने यह फैसला एक ही दिन में नहीं किया है। उन्होंने इसके लिए एक तय रणनीति पर काम किया है। दोनेत्स्क और लुहांस्क में 60 लाख आबादी रहती है। इनमें से 80 फीसदी आबादी रूसी भाषा बोलती है। हालांकि वहां के लोग भले ही यूक्रेन के निवासी थे लेकिन उनका झुकाव पूरी तरह से रूस की तरफ ही रहा। पुतिन को मालूम था कि विद्रोह अगर बढ़ेगा तो इसका सीधा फायदा रूस को मिलेगा।
रूस ने यूक्रेन के जिन दो इलाकों को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया है, वो पूर्वी यूक्रेन का हिस्ता हैं तथा रूस की सीमा से लगते हैं। अब पुतिन ने दोनों देशों को मान्यता भी दे दी है और कहा है कि इसकी देखभाल भी रूस ही करेगा। यहां तक की रूस ने तो दोनों जगहों पर अपनी सेनाओं की तैनाती भी कर दी है। लोग आजादी का जश्न भी मनाते नजर आ रहे हैं।
जानें पुतिन के फैसले की वजह
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को लेकर इतना बड़ा फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्हें पता था कि यूक्रेन की सरकार नाटों में शामिल होना चाहती है। पुतिन जानते थे कि नाटो देश और अमेरिका जब यूक्रेन पर नाटो में शामिल होने के लिए दबाव बनाएंगे तब यूक्रेन को विभावित होने का सही समय होगा। यूक्रेन नाटो देशों में शामिल होना चाह ही रहा है कि पुतिन ने दोनेत्सक और लुहांस्क को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया।
रूस ने यूक्रेन से बिना खूनी युद्ध किए ही बड़ा स्ट्राइक कर दिया और पश्चिमी देशों को भी भनक नहीं लगी तथा यूक्रेन के दो इलाकों को स्वतंत्र देश घोषित करके ही दम लिया। उधर नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानी नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि रूस पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को सैन्य और आर्थिक मदद देकर विद्रोह को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि रूस फिर से यूक्रेन पर हमला करने के लिए बहाना बना रहा है।
रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनें
नाटो देशों की यूक्रेन में दखलंदाजी रूस को बिल्कुल रास नहीं आ रही है। रूस नहीं चाहता है कि पश्चिमी देशों की मौजूदगी यूक्रेन में रहे। रूस की यही मंशा है कि पश्चिमी देश यूक्रेन से दूर रहें और यूक्रेन में बेवजह दखल न दें। उधर पश्चिमी देशों के साथ रूस की तनातनी जगजाहिर है। रूस को ये पता है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता है तो उसके लिए बड़ी मुश्किल होने वाली है। यूक्रेन पर हमले की स्तिथि में नाटो देश रूस पर हमला बोल देंगे। फिर दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ झोंक सकती है।
पुतिन का एक रूस प्लान?
जानकारों की माने व्लादिमीर पुतिन अपने सीमावर्ती देशों को तोड़ रहे हैं या फिर जोड़ रहे हैं। इसके पीछे बड़ी वजह है। बता दें कि साल 2008 में रूस ने जॉर्जिया पर हमला किया था और वहां के दो प्रांतों दो प्रांतों अबखाजिया और साउथ ओसेटिया को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी है। इन दो देशों का रिमोट कंट्रोल रूस के ही हाथों में हैं। साल 2014 में रूस ने इस प्लान के तहत क्रीमिया पर कब्जा किया था फिर उसका रूस में ही विलय हो गया।
अब रूस का विस्तार ब्लैक सी तक हो गया है। पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश की मान्यता देने के बाद रूस यहां भी अपनी जड़ों को मजबूत कर रहा है। उधर बेलारूस के राष्ट्रपति पहले ही कह चुके हैं कि सही वक्त आने पर वह अपने देश का विलय रूस के साथ करेंगे। रूसी राष्ट्रपति अब अखंड रशिया पर काम कर रहे हैं।
पुतिन हमेशा अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए विदेशी हस्तक्षेप से इनकार करते हैं। जहां दुनियाभर के देश उनकी आलोचना कर रहे हैं, वहीं वह अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए डटे हैं। पुतिन ने साफ कर दिया कि वह अपनी सीमाओं में किसी भी राष्ट्र का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।