जेल की चार दीवारी से लेकर सोने के महल में रहने तक ऐसे रहे हैं भगोड़े राष्ट्रपति के शौक, जिन्हें दोबारा यूक्रेन की गद्दी सौंपना चाहते हैं व्लादिमीर पुतिन!

रूस-यूक्रेन युद्ध जेल की चार दीवारी से लेकर सोने के महल में रहने तक ऐसे रहे हैं भगोड़े राष्ट्रपति के शौक, जिन्हें दोबारा यूक्रेन की गद्दी सौंपना चाहते हैं व्लादिमीर पुतिन!

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-03 14:31 GMT
जेल की चार दीवारी से लेकर सोने के महल में रहने तक ऐसे रहे हैं भगोड़े राष्ट्रपति के शौक, जिन्हें दोबारा यूक्रेन की गद्दी सौंपना चाहते हैं व्लादिमीर पुतिन!
हाईलाइट
  • 'सोने के महल' में रहते थे विक्टर यानुकोविच

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण युद्ध, अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है, ना तो जेलेंस्की झुकने को तैयार है और ना ही पुतिन पीछे हटने को। रूस यूक्रेन पर दनादन हमले कर रही, जहां शहर के शहर तबाह हो गए है। हालांकि, इस बीच कई बार दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने वार्ता की है, लेकिन हर बार ये बिना निष्कर्ष के ही वापस लौट आए है।

लेकिन इस बीच अब रूसी मीडिया ने यह दावा किया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की सत्ता से वोलोडिमीर जेलेंस्की से छीनकर विक्टर यानुकोविच को सौंपना चाहती है। 

यूक्रेन की मीडिया के मुताबिक, कीव पर कब्जा होने के बाद विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति होंगे। आपको बता दें, इससे पहले भी विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति रहे हैं, लेकिन 8 साल पहले बगावत के चलते उन्हें देश छोड़ना पड़ा था। 

एक समझौते के तहत देश छोड़ने को मजबूर हुए यानुकोविच

विक्टर यानुकोविच 2010 में यूक्रेन के राष्ट्रपति चुने गए थे। उस समय उन्होंने यूरोपियन यूनियन के साथ रिश्ते बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन नवंबर 2013 में यानुकोविच यूरोपियन यूनियन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने से पीछे हट गए थे, जिसके तहत यूक्रेन को 15 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज मिलने वाला था। 

इसके बाद उन्हें अपने देश में काफी विरोध झेलना पड़ा था, लोग उनके खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद फरवरी 2014 में यूक्रेन की संसद ने भी उन्हें पद से हटाने के प्रस्ताव को पास कर दिया, लेकिन उससे पहले ही यानुकोविच यूक्रेन छोड़कर भाग गए। इस दौरान यानुकोविच की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे। 

जेल भी जा चुके है यानुकोविच

विक्टर यानुकोविच का जन्म यूक्रेन के डोनेत्स्क प्रांत के येनाकीव शहर में एक गांव में हुआ था। उनकी मां नर्स वहीं पिता लोको पायलट थे। यानुकोविच जब दो साल के थे, तभी उनकी मां की मृत्यु हो गई, इसके कुछ सालों बाद उनके पिता की भी मौत हो गई। 17 साल की उम्र में यानुकोविच को चोरी और मारपीट के मामले में 3 साल की जेल हुई थी। 1970 में फिर एक बार उन्हें मारपीट के मामले में 2 साल की कैद हुई। 

ऐसा रहा है विक्टर यानुकोविच का राजनितिक सफर 

यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बनने से पहले, देश के प्रधानमंत्री भी रह चुके है। हालांकि, उनके राजनितिक करियर की शुरुआत तो 1996 से हो गई थी, जब वह पहली बार डोनेत्स्क का वाइस हेड नियुक्त किए गए थे, उसके बाद मई 1997 में उन्हें गवर्नर बनाया गया। 

लेकिन उनके करियर ने बड़ा मोड़ 2002 में लिया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री एनाटोली किनाख के इस्तीफे के बाद उन्हें उस समय देश के राष्ट्रपति लियोनिड कुचमा ने यानुकोविच को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।  

इसके बाद 2004 में यूक्रेन में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ, जिसमें यानुकोविच ने अपनी उम्मीदवारी पेश की। इस चुनाव में पहले राउंड में यानुकोविच जीत हुई, लेकिन विपक्षी पार्टी समेत अंतरराष्ट्रीय जगत ने धांधली के आरोप लगाए, जिसके बाद में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में फिर से गिनती हुई और यानुकोविच हार गए। 

इन सब के बीच 2006 में यानुकोविच दोबारा प्रधानमंत्री बने। 2010 में एक बार फिर से यानुकोविच राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल हुए। यानुकोविच पर इस बार प्रचार के दौरान वित्तीय गड़बड़ी करने का आरोप लगा। उन पर आरोप था कि चुनाव में यानुकोविच ने 100 से 150 मिलियन डॉलर का खर्च किया। 

 इस चुनाव में यानुकोविच को करीब 49 फीसदी वोट मिले, जबकि विपक्षी उम्मीदवार यूलिया तिमोशेंको को 46 फीसदी वोट मिले थे। 

'सोने के महल' में रहते थे विक्टर यानुकोविच

2002 में यानुकोविच जब प्रधानमंत्री बने तो उन्हें डोनेत्स्क छोड़कर कीव आना पड़ा। कीव में उन्हें सरकारी बंगला मिला, लेकिन उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया। इसकी जगह उन्होंने कीव में निप्रो नदी के किनारे बने लक्जीरियस बंगले Mezhyhirya में रहे, जिसके लिए उन्होंने इसका किराया देने की बात भी कही। 

Mezhyhirya 14वीं सदी में बना एक आलिशान बांग्ला है। सोने के कलर का पेंट होने के कारण, इसे 'सोने का महल' भी कहा जाता है। यह 5 मंजिला बंगला 50 एकड़ में फैला हुआ, जिसमें सारी सुख-सुविधांए उपलब्ध है। 2005 में यानुकोविच ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद इसे छोड़ दिया।

लेकिन 2009 में उन्होंने यह दावा किया कि उन्होंने इसे खरीद लिया है और अब ये प्राइवेट प्रॉपर्टी है। हालांकि, उन्होंने कभी इस बात का खुलासा नहीं किया कि इसे कितने में खरीदा है। अनुमान लगाया गया कि इस बंगले की कीमत 75 से 100 मिलियन डॉलर रही होगी। 

इसके बाद विपक्ष ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।  2014 में जब यानुकोविच जब देश छोड़कर भाग गए तो दो दिन बाद ही संसद में एक प्रस्ताव पास कर Mezhyhirya को फिर से सरकारी संपत्ति बना दिया गया। नवंबर 2014 में Mezhyhirya को म्यूजियम घोषित कर दिया गया था। 


 

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