वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे पुतिन, अपनी यात्रा से पहले रूस राष्ट्रपति ने की भारत की प्रशंसा
भारत- रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे पुतिन, अपनी यात्रा से पहले रूस राष्ट्रपति ने की भारत की प्रशंसा
- बहुआयामी द्विपक्षीय सहयोग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और रूस दो साल से अधिक समय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहली बार आमने-सामने की बैठक के लिए तैयार हैं। पुतिन इस सप्ताह के अंत में 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आ रहे है। दोनों नेता नवंबर 2019 में ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद पहली बार मिलेंगे।
18 नवंबर को रूसी विदेश मंत्रालय के बोर्ड की एक विस्तारित बैठक में पुतिन ने तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में रूस-भारत विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि चीन की तरह रूस अपने विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदार -भारत के साथ संबंधों में समान दृष्टिकोण का पालन करता है।
पुतिन ने कहा हम वास्तव में बहुआयामी द्विपक्षीय सहयोग का निर्माण करने का इरादा रखते हैं। हम भारत को एक बहुध्रुवीय दुनिया के मजबूत स्वतंत्र केंद्रों में से एक के रूप में देखते हैं जिसकी विदेश नीति दर्शन और प्राथमिकताएं हमारे करीब हैं। मोदी-पुतिन के बीच तालमेल कोविड -19 महामारी से पहले और यहां तक कि ब्रासीलिया में उस बैठक के बाद से दोनों नेताओं के बीच छह टेलीफोन पर बातचीत और वर्चुअल बैठकों के दौरान भी प्रदर्शित हुआ है।
सितंबर में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम-2021 (ईईएफ) को वर्चुअली संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत का एक महान मित्र कहा था जिनके मार्गदर्शन में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूती से बढ़ती जा रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोले पेत्रुशेव प्रमुख उच्च स्तरीय वार्ता की नींव रख रहे थे।
वार्ता के दौरान दोनों पक्षों द्वारा दोनों देशों के बीच विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के संबंधों के आगे विकास पर ध्यान केंद्रित करने और जी20, ब्रिक्स और एससीओ के भीतर संयुक्त कार्य सहित अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे पर वर्तमान विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान करने की उम्मीद है। अपनी एक्ट फार-ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में भारत ने रूस के सुदूर पूर्व के विकास के लिए पुतिन के दृष्टिकोण को साकार करने में मास्को के विश्वसनीय भागीदार बने रहने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की है। दो साल बाद नई दिल्ली और मॉस्को अब एक मजबूत और बढ़ते द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग का दावा कर सकते हैं जो विशेष साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ है।
रूस भारतीय तेल और गैस कंपनियों के लिए सबसे बड़ा निवेश गंतव्य है। भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने सखालिन-1, वैंकोर और तास-युर्याख जैसी तेल और गैस परिसंपत्तियों में सुदूर पूर्व और पूर्वी साइबेरिया सहित रूस में लगभग 16 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। रूस भारत के तेल और गैस क्षेत्र में सबसे बड़ा निवेशक भी है। जिसमें भारत रूसी कंपनियों द्वारा और निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है क्योंकि पुरी ने रोसनेफ्ट, गजप्रोमनेफ्ट और सिबुर सहित देश की ऊर्जा की बड़ी कंपनियों के साथ चर्चा की।
(आईएएनएस)