इस उम्र के लोगों को है एड्स का सबसे ज्यादा खतरा

HIV चीन इस उम्र के लोगों को है एड्स का सबसे ज्यादा खतरा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-03 13:30 GMT
इस उम्र के लोगों को है एड्स का सबसे ज्यादा खतरा
हाईलाइट
  • जागरुकता के बाद नियंत्रण करना पूरे विश्व के लिए चुनौती

डिजिटल डेस्क, बीजिंग । एड्स एक ऐसा घातक संक्रामक रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने और ब्लड चढ़ाने आदि से होता है। पिछले चार दशकों में एड्स के चलते 3 करोड़ 63 लाख लोगों को जान गंवानी पड़ी। जबकि इस दौरान 7 करोड़ 93 लाख लोग एचआईवी संक्रमित हुए। हालांकि हाल के वर्षों में इस रोग के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी है। बावजूद इसके इस पर नियंत्रण करना पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बना हुआ है।

दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन की बात करें तो एड्स की रोकथाम चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद स्थिर बनी हुई है। आंकड़ों पर गौर करें तो चीन में साल 2020 के अंत तक करीब 10 लाख लोग एचआईवी संक्रमित थे। जबकि इस बीमारी से होने वाली संचयी मौतों की संख्या 3 लाख 51 हजार थी। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा स्थापित मंच चाइना सीडीसी ने एड्स को लेकर उक्त आंकड़े जारी किए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार चीन में 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। जो कि चिंताजनक बात है जहां वर्ष 2011 में इस आयु वर्ग के 22 फीसदी लोगों को एड्स था जबकि 2020 में यह अनुपात बढ़कर 44 प्रतिशत हो गया।

जानकार मानते हैं कि चीन में इस रोग को लेकर जागरुकता तो बढ़ रही है लेकिन अभी भी इसके संक्रमण को रोकने के लिए बहुत कुछ करना होगा। कहा गया है कि एड्स के संचरण की रोकथाम के लिए व्यापक उपाय करने की आवश्यकता है। साथ ही उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप विधियों का सहारा लेने पर भी जोर दिया गया है।

वहीं पड़ोसी देश भारत में भी एड्स के संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन(नाको) की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 तक इंडिया में 23 लाख 49 हजार लोग एचआईवी/एड्स से संक्रमित पाए गए थे। महाराष्ट्र में एड्स पीड़ितों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे में एड्स रोकने के लिए हर स्तर पर व्यापक कोशिश करने की जरूरत है।

बता दें कि हमारे समाज में अब भी एड्स रोगियों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। कई मौकों पर देखा गया है कि लोग उन्हें अछूत समझने लगते हैं। जबकि इस रोग का छूने, बात करने व अन्य बाहरी स्पर्श के कोई संबंध नहीं है। यही कारण है कि इस बार 1 दिसंबर के एड्स दिवस की थीम थी। असमानताओं को समाप्त करें, एड्स का अंत करें। उम्मीद की जानी चाहिए कि एड्स रोगियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा और संक्रमण रोकने के उपायों पर ध्यान दिया जाएगा।

 

 

(आईएएनएस)

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