कोरोना की तबाही: एक ऐसा देश, जहां कब्रिस्तान में जगह नहीं बची तो लोग सड़कों पर फेंक रहे लाशें

कोरोना की तबाही: एक ऐसा देश, जहां कब्रिस्तान में जगह नहीं बची तो लोग सड़कों पर फेंक रहे लाशें

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-11 00:12 GMT
कोरोना की तबाही: एक ऐसा देश, जहां कब्रिस्तान में जगह नहीं बची तो लोग सड़कों पर फेंक रहे लाशें

डिजिटल डेस्क, एमी गुडमैन। कोरोना वायरस के कारण यूं तो पूरी दुनिया में लोग त्राहि-​त्राहि कर रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के कारण अब तक 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं एक ऐसा देश भी है, जिसे कोरोना ने पूरी तरह से तबाही की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस देश में कोरोना वायरस के कारण स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि वहां लोग सड़कों पर लाशें फेंक रहे हैं। अस्पतालों में डॉक्टर मरीज के मरने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि बिस्तर खाली होने पर दूसरे मरीज का इलाज किया जा सके। कब्रिस्तानों के बाहर लाशों को दफ्नाने के लिए लंबी लाइनें लगी हैं और ताबूतों की इतनी कमी है कि फल और सब्जी पैक करने वाले डिब्बों में लाशें रखी जा रही हैं।  

हम ​बात कर रहे हैं लेटिन अमेरिका के छोटे से देश इक्वाडोर की। गरीबी से जूझ रहे इस देश में कोरोना वायरस ने ऐसी समस्या पैदा की कि, जिससे पार पाना यहां की सरकार के बूते से बाहर हो गई है। 

वीडियो में दिखीं लाशों की विभत्स तस्वीरें
हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ हैं, जिसमें इक्वाडोर के गुआयाकिल शहर की सड़क किनारे बड़ी संख्या में पॉलिथीन बैग्स पड़े दिखाई दे रहे हैं। इन बैग्स में लाशें हैं, वह भी ज्यादातर वे लाशें हैं, जिनकी मौत कोरोना वायरस के कारण हुई हैं। ये लाशें यहां इसलिए पड़ी हैं, क्योंकि दफ्नाने के लिए कब्रिस्तान में जगह ही नहीं हैं। कोरोना से जूझ रहे किसी भी देश की ये अब तक की सबसे विभत्स तस्वीरें हैं।

राष्ट्रपति ने माना कि सरकारी आंकड़ों से कई ज्यादा लोगों की मौत हुई
1 करोड़ 70 लाख की छोटी सी आबादी वाले इस देश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 7 हजार के पार है और मृतकों की संख्या 297 है, लेकिन हकीकत इससे कहीं दूर है। सरकारी आंकड़ों को देखा जाए तो कई देशों की तुलना में यह बहुत कम है, लेकिन हकीकत में स्वास्थ्य विशेषज्ञ इन आंकड़ों से 5 गुना ज्यादा संक्रमितों और मृतकों की संख्या मान रहे हैं। खुद इक्वाडोर के राष्ट्रपति लेनिन मुरेनो कह चुके  हैं कि असली आंकड़ा बहुत ज्यादा है और हम जांच नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए जितनी जांच हुई हैं उतने ही नंबर बता रहे हैं। 

दुनिया में सबसे ज्यादा बुरा हाल गुआयाकिल में 
जानकारी अनुसार जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वह गुआयाकिल का है और यहां देश में कोरोना संक्रमण के 70 फीसदी केस यहीं से हैं। इन आंकड़ों और वायरल वीडियो के बाद माना जा रहा है कि दुनिया में सबसे ज्यादा बुरा हाल इसी शहर का है। 

समाचार एपी के मुताबिक गुआयाकिल में पिछले सप्ताह 520 लोग अपने घर में ही मौत हो गई। वे अस्पताल भी नहीं पहुंच पाए और उन्हें कोरोना था भी या नहीं इसकी जांच भी नहीं हो पाई। ये मरीज अस्पताल इसलिए नहीं पहुंच पाए, क्योंकि मरीजों को अस्पतालों पहुंचाने की न तो कोई व्यवस्था बची है और न ही अस्पतालों में जगह है। पहले से ही वहां मरीज भरे पड़े हैं। हालत इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि यहां डॉक्टर और नर्स के स्टाफ की कमी है और डॉक्टर हैं वे खुद कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। आरटी न्यूज पोर्टल के अनुसार डॉक्टर गंभीर मरीजों की मौत का इंतजार करने को मजबूर हैं, ​ताकि वे खाली हुए बैड पर दूसरे मरीज को भर्ती किया जा सके। 

अन्य बीमारी के मरीजों का भी नहीं हो पा रहा इलाज
आरटी न्यूज पोर्टल के मुताबिक, इक्वाडोर में हालत ये है कि यहां अस्पतालों में कोरोना ही नहीं अन्य बीमारी के मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह नहीं है। जानकारी के अनुसार इसी सप्ताह कार्मेन स्वारी नाम की महिला की किडनी फैल होने के कारण उनकी मौत गई। परिजन उन्हें कई अस्पतालों में लेकर भटके, लेकिन जगह न होने के कारण किसी भी अस्पताल में उन्हें भर्ती नहीं किया गया। 

लाशों को ढूंढने तक के लिए परिजनों को देना पड़ रही रिश्वत
गुआयाकिल शहर में मेडिकल इमरजेंसी नंबरों पर फोन तक नहीं लग पा रहा है। लोगों को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था नहीं है और जो लोग अस्पताल पहुंच गए और उनकी मौत होने पर एक-एक हफ्ते तक घरवालों को लाश नहीं मिल पा रही है। समाचार एजेंसी एपी के हवाले से एक केस स्टडी के अनुसार यहां अस्फेंसो नाम के एक कोरोना मरीज को जब अस्पताल ले जाया गया तो उसे भर्ती होने के लिए बैड नहीं मिला। परिजनों ने जैसे-तैसे उसे एम्बुलेंस के स्ट्रेचर पर लैटाया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके दो हफ्ते बाद भी परिवार वालों को शव नहीं मिला। हालत ये कि अस्पताल में लाशें तलाशने के लिए परि​जनों को अस्पतालकर्मियों को रिश्वत देनी पड़ रही है। 

ताबूत नहीं तो कार्ड बोर्ड के डिब्बों में कब्रस्तिान ले जा रहे शव 
वहीं लाशें मिलने के बाद भी परिजनों की समस्याएं कम नहीं हो रहीं। यहां लाशों को ​कब्रिस्तान पहुंचाने के लिए ताबूत कम पड़ रहे हैं। कार्ड बोर्ड के डिब्बों में लाशें ले जाई जा रही हैं। केला और अन्य फलों की सप्लाई के लिए जो कंपनियां डिब्बे बनाती थीं। वे अब 6 फीट लंबे डिब्बे बना रही हैं, ताकि कब्रिस्तान में लाशों की सप्लाई की जा सके।

क​ब्रस्तिान में जगह नहीं मिलने पर सड़क पर फेंक रहे शव 
वहीं दूसरी ओर कब्रिस्तान में जब घरवाले अपने परिजनों की लाशों को लेकर पहुंच रहे हैं तो वहां शवों को दफ्नाने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। इन हालातों में लोग अपने परिजनों के शवों को दफ्नाने के लिए घंटों लाइन में इतजार करने को मजबूर हैं और जिन लोगों को जगह नहीं मिल पा रही है। वे अपने परिजनों की लाशों को सड़कों और गलियों में फेंक दे रहे हैं। यानी गलियों और सड़कों पर लाशें सड़ रही हैं। इससे संक्रमण के फैलने का खतरा और भी अधिक बड़ गया है।

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