शांति और स्थिरता शरणार्थी सवाल के निपटारे का मूल रास्ता है

चीन शांति और स्थिरता शरणार्थी सवाल के निपटारे का मूल रास्ता है

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-18 14:00 GMT
शांति और स्थिरता शरणार्थी सवाल के निपटारे का मूल रास्ता है
हाईलाइट
  • दुनिया भर में मुठभेड़ या अत्याचार

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। 20 जून को 22वां अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी दिवस होगा। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी आयोग द्वारा हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में मुठभेड़ या अत्याचार से देश छोड़कर भागने वाले शरणार्थियों, शरणार्थी दावेदारों और बेघर लोगों की संख्या पहली बार 10 करोड़ से अधिक रही।

शरणार्थी आयोग के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैंडिया ने कहा कि यह एक गंभीर संख्या है, जो चिंताजनक है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दुनिया भर में लोगों के जबरन बेघर होने का सवाल दूर करने के लिए सक्रिय कदम उठाना चाहिए।

हालांकि लोग अपने देश में गरीबी और युद्ध की वजह से शरणार्थी और अवैध अप्रवासी बने, लेकिन मूल कारण है कि अमेरिका समेत कुछ पश्चिमी देश लंबे समय से कई देशों में युद्ध छेड़ता है, अन्य देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करता है और मानवीय आपदा बनाता है। इससे दुनिया में शरणार्थी का सवाल बिगड़ रहा है।

अब अमेरिका और नाटो की प्रेरणा में रूस और यूक्रेन के बीच मुठभेड़ हो रहा है। इससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे गंभीर शरणार्थी संकट आया। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी आयोग ने हाल में कहा कि रूस-यूक्रेन मुठभेड़ से 80 लाख लोगों ने शरण लेने के लिए यूक्रेन में स्थानांतरित किया। अन्य देश जाने वाले पंजीकृत शरणार्थियों की संख्या 60 लाख से अधिक है।

बताया जाता है कि आधे से अधिक यूक्रेनी शरणार्थी पोलैंड गए और बहुत सारे शरणार्थी रोमानिया, हंगरी, मोल्दोवा आदि देश पहुंचे। इससे यूरोपीय देशों के सार्वजनिक संसाधन पर काफी बड़ा दबाव पड़ा। अनुमान है कि वर्ष 2022 में यूक्रेनी शरणार्थियों का पुनर्वास करने के लिए यूरोपीय संघ को कम से कम 43 अरब यूरो का खर्च करना होगा। रूस-यूक्रेन मुठभेड़ के चलते यह संख्या और बढ़ेगी।

शरणार्थी सवाल विश्व शासन के मुख्य विषयों में से एक है। कोविड-19 महामारी के फैलाव, भू-राजनीतिक स्थिति में तनाव और विश्व आर्थिक मंदी की स्थिति में शरणार्थी के सवाल का निपटारा आवश्यक है। लेकिन मानवीय संकट बनाने वाले पश्चिमी देश ज्यादा शरणार्थियों को स्वीकार नहीं करते। अधिकांश शरणार्थी-मेजबानी देश विकासशील देश हैं, जिससे इन देशों के आर्थिक व सामाजिक विकास और सुरक्षा पर बड़ा दबाव पड़ा।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी आयोग के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैंडिया ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से शरणार्थियों को ज्यादा समर्थन देने की अपील की। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय सहायता सिर्फ अस्थाई रूप से मुठभेड़ का प्रभाव कम कर सकता है। शरणार्थियों की संख्या कम करने का एकमात्र रास्ता शांति और स्थिरता साकार करना है।

सोर्स- आईएएनएस

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