अमेरिका की न दोस्ती भली न दुश्मनी..
दुनिया अमेरिका की न दोस्ती भली न दुश्मनी..
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। मार्च की शुरूआत या उससे भी पहले, अत्यधिक वर्गीकृत अमेरिकी सैन्य खुफिया दस्तावेज एक के बाद एक इंटरनेट पर दिखाई दिए। कुल 100 से अधिक प्रतियां हैं, जिनमें रूस-यूक्रेन संघर्ष में अमेरिकी सरकार की गहरी भागीदारी और यूक्रेन, दक्षिण कोरिया और इजराइल में उच्च-स्तरीय अधिकारियों की निरंतर और करीबी निगरानी शामिल हैं। एक महीने से अधिक के प्रसार के बाद, पेंटागन का लीकगेट पूरी दुनिया में जाना जाने लगा और 2013 में विकीलीक्स लीक होने के बाद से यह सबसे गंभीर संबंधित घटना बन गई।
दशकों से यह एक खुला रहस्य रहा है कि अमेरिका ने अपने सहयोगियों की अंधाधुंध निगरानी की है, लेकिन इस नवीनतम रहस्योद्घाटन ने अमेरिका के सहयोगियों को गहरी चोट पहुंचाई है। उदाहरण के लिए, दस्तावेज में रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के बारे में बड़ी संख्या में विवरण शामिल हैं, जिसमें यूक्रेनी सेना की वसंत आक्रामक योजना, यूक्रेन की सेना के गठन, हथियार वितरण और सेना की ताकत के निर्माण में पश्चिमी देशों की सहायता शामिल हैं।
इसके अलावा, इजरायल के न्यायिक सुधार और यूक्रेन को घातक हथियार प्रदान करने के बारे में दक्षिण कोरियाई अधिकारियों के गुप्त परामर्श आदि सभी अमेरिका की निगरानी में हैं। इस जानकारी से यह देखा जा सकता है कि अमेरिका रूस-यूक्रेन संघर्ष में गहराई से शामिल है और परिस्थिति की दिशा को नियंत्रित करना चाहता है। अमेरिका अपने सहयोगियों सहित किसी भी देश पर भरोसा नहीं करता है।
अमेरिका निगरानी को लेकर इतना जुनूनी क्यों है? ऐतिहासिक रूप से, अमेरिका के पास सहयोगियों की वास्तविक अवधारणा कभी नहीं रही है। प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरूआत में ही अमेरिका ने निगरानी शुरू कर दी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, अमेरिका ने अपने सहयोगियों को सुरक्षा संरक्षण और आर्थिक सहायता प्रदान करने का दावा किया। लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, अमेरिका की युद्ध-प्रिय प्रकृति और आधिपत्य प्रथाएं सहयोगियों के हितों के अनुरूप कम होती जा रही हैं।
पूर्णसुरक्षा के स्वार्थी मनोविज्ञान को लेकर अमेरिका का समाधान मूल रूप से सहयोगियों के नियंत्रण को मजबूत करना है और हमेशा उनके हर कदम के खिलाफ सतर्क रहना है। निगरानी आवश्यक साधन बन गई है। अमेरिका के लिए दुनिया भर में मुनाफा कमाने की कोशिश करने के लिए निगरानी भी एक साधन है। तथ्यों ने साबित कर दिया है कि अमेरिकी यथार्थ वाद और आत्मकेंद्रितता के सामने दोस्ती की नाव किसी भी समय पलट सकती है। लोगों को किसिंजर के इस वाक्य को याद आती है, अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक है, जबकि अमेरिका का सहयोगी होना और भी घातक है।
(आईएएनएस)
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