ISS: 200 से ज्यादा दिनों बाद पृथ्वी पर लौटे तीन एस्ट्रोनॉट, सोयूज़ स्पेसक्राफ्ट से सेंट्रल कज़ाकिस्तान में लैंडिंग
ISS: 200 से ज्यादा दिनों बाद पृथ्वी पर लौटे तीन एस्ट्रोनॉट, सोयूज़ स्पेसक्राफ्ट से सेंट्रल कज़ाकिस्तान में लैंडिंग
डिजिटल डेस्क, अलमाटी। कोरोनावायरस महामारी के कहर के बीच इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के 62वें अभियान के तीन एस्ट्रोनॉट शुक्रवार को पृथ्वी पर लौट आए। अमेरिका और रूस के ये तीनों एस्ट्रोनॉट 200 से ज्यादा दिनों तक स्पेस में रहने के बाद लौटे हैं। नासा (NASA) के अंतरिक्ष यात्री जेसिका मीर, एंड्रयू मॉर्गन और रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (ROSCOSMOS) के ओलेग स्क्रिपोचका ने भारतीय समयानुसार शुक्रवार सुबह 10:46 बजे (05:16 GMT) रूस के MS-15 सोयूज़ स्पेसक्राफ्ट से सेंट्रल कज़ाकिस्तान में लैंडिंग की।
कोरोनावायरस के चलते बरती ज्यादा एहतियात
रूसी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने कोरोनावायरस महामारी के चलते क्रू की सुरक्षा के लिए ज्यादा एहतियात बरती। कज़ाकिस्तान में लैंडिंग के बाद रिकवरी और मेडिकल टीम ने एस्ट्रोनॉट्स को कैप्सूल से बाहर निकाला। एक क्विक चेकअप के बाद हेलीकॉप्टर से ये एस्ट्रोनॉट बैकोनूर चले गए। बैकोनूर से रूसी एस्ट्रोनॉट मॉस्को के लिए रवाना हुए जबकि अमेरिकी एस्ट्रोनॉट जेसिका मीर और एंड्रयू मॉर्गन को बैकोनूर से 300 किलोमीटर दूर काइज़ल-ओर्दा तक ले जाया गया, ताकि वह अमेरिका के लिए उड़ान भर सकें। अब करीब एक महीने तक ये सभी एस्ट्रोनॉट मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रहेंगे। इस दौरान उनका कोरोनावायरस का टेस्ट भी किया जाएगा।
कितने दिनों का था मिशन?
मॉर्गन ने अंतरिक्ष में अपनी पहली यात्रा को दौरान 272 दिन के मिशन को पूरा किया। उन्होंने इस दौरान सात बार स्पेस वॉक की। जबकि मीर और स्क्रिपोचका ने अंतरिक्ष में 205 दिन बिताए। मीर ने अपने दल की साथी क्रिस्टीना कोच के साथ स्पेसवॉक कर पहली ऑल फीमेल स्पेसवॉक टीम का हिस्सा बनी। मीर की यह पहली जबकि क्रिस्टीन की चौथी स्पेस वॉक थी। क्रिस्टीना कोच और जेसिका मीर पावर नेटवर्क के खराब हुए हिस्से को ठीक करने के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से बाहर निकली थी। ये स्पेसवॉक 7 घंटे और 17 मिनट की थी। क्रिस्टीना कोच फरवरी में अंतरिक्ष से लौटी थी।
पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर है ISS
बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटिर ऊपर है। ये अंतरिक्ष में मानव निर्मित सबसे बड़ी और चमकदार वस्तु है जिसे पृथ्वी से देखा जा सकता है। ISS का आकार फुटबॉल मैदान के बराबर है। पांच देशों की स्पेस एजेंसी अमेरिका की NASA, यूरोप की ESA, जापान की JAXA, रूस की ROSKOSMOS और कैनेडा की CSA का ये प्रोजेक्ट है।
करीब 28,000 किलोमीटिर प्रतिघंटे की रफ्तार से यह पृथ्वी के चक्कर लगाता है। स्पेस स्टेशन में आई किसी भी तरह के खराबी या मेंटेनेंस के लिए एस्ट्रोनॉट को इसी रफ्तार पर बाहर निकलकर इसे ठीक करना पड़ता है। रूस के सोयूज़ स्पेसक्राफ्ट के जरिए एस्ट्रोनॉट्स को ISS तक पहुंचाया और वापस पृथ्वी पर लाया जाता है। ये एस्ट्रोनॉट माइक्रो ग्रेवेटी इनवॉयरमेंट में कई तरह के एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहां जाते हैं।