गलवान में भारत से हुई झड़प पर इतराया चीन, गलवान में मिली शिकस्त के बावजूद झड़प को माना उपलब्धि, जिनपिंग ने बैठक में थपथपाई अपनी ही पीठ

ड्रैगन की नई कारस्तानी गलवान में भारत से हुई झड़प पर इतराया चीन, गलवान में मिली शिकस्त के बावजूद झड़प को माना उपलब्धि, जिनपिंग ने बैठक में थपथपाई अपनी ही पीठ

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-17 13:07 GMT
हाईलाइट
  • पहले चीन में राष्ट्रपति को अधिकतम दो बार कार्यकाल देने का नियम था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं बैठक राजधानी बीजिंग में 17 अक्टूबर से शुरु हुई। 6 दिन चलने वाली इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के कार्यकाल बढ़ने की घोषणा भी की जा सकती है। इस मीटिंग के दौरान एक ऐसा वाक्या हुआ जिसने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। दरअसल, मीटिंग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई साल 2020 में हुई गलवान झड़प का वीडियो दिखाया गया। वीडियो को जिंगपिंग सरकार की उपलब्धि के रुप में प्रदर्शित किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में गलवान हिंसा वीडियो दिखाकर जिंगपिंग ने भारत को लेकर अपना एजेंडा स्पष्ट कर दिया है। 

दोनों देशों के बीच बढ़ सकती हैं गलवान और डोकलाम जैसी झड़पें

माना जा रहा है कि कम्युनिस्ट पार्टी की इस बैठक के बाद देश के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिंगपिंग का कार्यकाल बढ़ने का ऐलान हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो यह भारत के लिए खतरे की बात है क्योंकि जिस तरह से गलवान हिंसा को उनकी सरकार की उपलब्धि के रुप में दिखाया गया है उससे आगे भी दोनों देशों के बीच ऐसी ही झड़पें होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। 

गौरतलब है कि पहले चीन में राष्ट्रपति को अधिकतम दो बार कार्यकाल देने का नियम था। इस नियम को जिंगपिंग ने 2018 में खत्म कर दिया था। इसके बाद जिंगपिंग के उम्र भर राष्ट्रपति बने रहने की संभावना भी बढ़ गई हैं। 

जिंगपिंग का आजीवन राष्ट्रपति बनना भारत के लिए खतरे की घंटी

आइए जानते हैं शी जिंगपिंग का आजीवन चीन का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए किस तरह से खतरनाक है?

सीमा पर तनाव में बढ़ोत्तरी

भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर कई सालों से विवाद है। लगभग 4 हजार किलोमीटर फैली दोनों देशों की सीमा पर डोकलाम और गलवान जैसे कई विवाद हुए हैं। अगर जिंगपिंग आजीवन चीन के राष्ट्रपति बनेंगे तो दोनों देशों के बीच विवाद आगे चलकर और बढ़ेंगे। जिंगपिंग के नेतृत्व में चीनी सेना सीमा पर अपनी गतिविधियां और बढ़ा सकती है, जिससे भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है। 

भारत को घेरने की रणनीति

चीन ने पड़ोसी मुल्क श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाकर उसकी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है। वह श्रीलंका का सबसे बड़ा बंदरगाह हंबनटोटा का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधि के लिए कर रहा है। हाल ही में चीन ने इस बंदरगाह पर अपना जासूसी जहाज भी पहुंचाया था। भारत के दो और पड़ोसी देश नेपाल व पाकिस्तान का इस्तेमाल भी चीन भारत के खिलाफ कर सकता है। उसने अपने वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट में इन दोनों देशों को शामिल करके भारत की सीमा पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने का काम किया है।

दरअसल, कुछ साल पहले चीन के राष्ट्रपति ने बेल्ट एंड रोड एनीशिएटिव यानी बीआरआई शुरु किया था। इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन दुनिया के कई देशों को रोड के माध्यम से आपस में जोड़ रहा था। नेपाल में चीन रेल और सड़कों से जुड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इनके जरिए वह भारत से लगी सीमाओं पर अपनी पहुंच बनाना चाहता है। इन दोनों देशों के अलावा चीन ने बांग्लादेश, म्यांमार और मालदीव जैसे भारत के पड़ोसी देशों पर कर्ज का बोझ डालकर इनका इस्तेमाल भी भारत के खिलाफ करने की योजना पर काम कर रहा है। 

पाकिस्तान को सैन्य सहायता देना

चीन पाकिस्तान को बीते कई समय से सैन्य सहायता प्रदान करता है। चीन से मिले आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान भारत के खिलाफ करता रहा है। इसके अलावा जिंगपिंग के राष्ट्रपति बने रहने से चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। बता दें कि इस कॉरिडोर का भारत शुरुआत से ही विरोध करता रहा है। भारत का आरोप है कि चीन इस कॉरिडोर का इस्तेमाल सीमा पर सैन्य ताकत बढ़ाकर अवैध रुप से कब्जा जमाने के लिए कर रहा है। 


 


 
 

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