ड्रैगन का जासूसी विमान श्रीलंका पहुंचा, भारत ने क्यों जताई चिंता? आइए जानते हैं इसके मायने

चीन की चालाकी ड्रैगन का जासूसी विमान श्रीलंका पहुंचा, भारत ने क्यों जताई चिंता? आइए जानते हैं इसके मायने

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-16 14:38 GMT
ड्रैगन का जासूसी विमान श्रीलंका पहुंचा, भारत ने क्यों जताई चिंता? आइए जानते हैं इसके मायने
हाईलाइट
  • इस जहाज को बंदरगाह पर 11 अगस्त को ही पहुंचना था
  • बंदरगाह पर जहाज आगामी 22 अगस्त तक रूकेगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ड्रैगन अक्सर अपने करतूतों को लेकर सुर्खियों बना रहता है। कभी ताइवान की सीमा में घुसने तो कभी भारत की सीमाओं में घुसने का दुस्साहस करता है। हालांकि, भारतीय सेना चीन को हमेशा मुंहतोड़ जवाब देती है। इसी कड़ी में चीन का हाई टेक्नोलॉजी वाला एक जासूसी जहाज मंगलवार को श्रीलंका के दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटो पहुंचा है। भारत इसको लेकर पहले ही कड़ी नाराजगी जता चुका है। फिर भी ड्रैगन अपनी चाल से बाज नहीं आ रहा।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही कोलंबो ने भारत की चिताओं को मद्देनजर रखते हुए बीजिंग से इस जासूसी जहाज का आगमन बंदरगाह पर टालने के लिए अनुरोध किया था। खबरों के मुताबिक, चीन का जासूसी विमान युआन वांग-5 आज स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजकर बीस मिनट पर दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा। वैसे इस जहाज को बंदरगाह पर 11 अगस्त को ही पहुंचना था लेकिन श्रीलंका के अधिकारियों की तरफ से मंजूरी न मिले की वजह से बिलंब हुआ। अब इस बंदरगाह पर जहाज आगामी 22 अगस्त तक रूकेगा। 

 भारत की दो टूक

इस मसले को लेकर भारत ने दो टूक कहा है कि उसके सुरक्षा और आर्थिक हितों को लेकर हर घटनाक्रम पर उसकी नजर बनी हुई है। भारत हिंद महासागर में चीनी सैन्य जहाजों को लेकर भी कड़ा रूख अख्तियार कर चुका है और अपना विरोध दर्ज करा चुका है। यहां तक की श्रीलंका में चीन की किसी भी यात्रा का विरोध भारत करता रहा है। श्रीलंका ने साल 2014 में भी परमाणु संपन्न चीनी पनडुब्बी को अपने बंदरगाह पर आने की अनुमति दी थी। उस दौरान भी भारत के रिश्ते में काफी दरार आई थी।

भारत ने जताई थी आशंका

गौरतलब है कि भारत ने कोलंबो के बंदरगाह पर चीन का जासूसी जहाज ठहरने को लेकर चिंता जाहिर की थी क्योंकि चीन भारत के प्रतिष्ठानों की जासूसी करा सकता है। भारत इस बात की आशंका पहले ही जता चुका है। श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते जहाज को बंदरगाह पर रूकने की अंतिम मंजूरी दी थी। हालांकि, श्रीलंका की ओर से कहा गया था कि श्रीलंका सरकार ने इस मसले को सुलझाने के लिए परस्पर विश्वास, मैत्रीपूर्ण संबंध के जरिए उच्चस्तर पर व्यापक विचार-विमर्श किया है।
 

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