Covid-19: WHO से आधिकारिक तौर पर अलग हुआ अमेरिका, UN महासचिव को दी जानकारी
Covid-19: WHO से आधिकारिक तौर पर अलग हुआ अमेरिका, UN महासचिव को दी जानकारी
- WHO से अलग होने में अमेरिका को लगेगा एक साल
- अमेरिका ने अप्रैल से ही डब्ल्यूएचओ को पैसे देना बंद कर दिया था
- अमेरिका साल 1948 से डब्लूएचओ का पक्षकार रहा है
डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ अपने देश के सभी संबंध खत्म करने की आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र को जानकारी दे दी है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। अमरीकी राष्ट्रपति ने इसका एलान मई के अंत में ही कर दिया था, जब उन्होंने संगठन पर कोरोना महामारी के दौरान चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाया था।
बता दें कि अमेरिका WHO पर लगातार कोविड-19 को लेकर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाता रहा है। कोरोना वायरस महामारी पिछले साल चीन के वुहान शहर से ही शुरू हुई थी। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य संगठन के विश्व को गुमराह करने के कारण इस वायरस से दुनिया भर में पांच लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से 1,30,000 से अधिक लोग तो अमेरिका के ही हैं।
WHO से अलग होने में अमेरिका को लगेगा एक साल
यूरोपीय संगठन और अन्य लोगों ने उनसे फ़ैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था, लेकिन ट्रंप ने इससे इनकार करते हुए कहा कि वो इस पैसे को कहीं और इस्तेमाल करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने अब संयुक्त राष्ट्र और अमरीकी संसद को इस बारे में औपचारिक तौर पर सूचित कर दिया है। हालांकि अमरीका के विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटने की प्रक्रिया के पूरी होने में एक साल लगेगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अमरीका ने संगठन से हटने की सूचना दे दी है जो 6 जुलाई 2021 से प्रभावी होगा।
अमरीकी सांसद और विदेश संबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य, डेमोक्रेट सेनेटर रॉबर्ड मेनेंडीज ने भी इसकी पुष्टि करते हुए ट्वीट किया है कि कांग्रेस को सूचना मिली है कि अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय ने महामारी के बीच में आधिकारिक तौर पर अमरीका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटा लिया है। अमरीका सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अमरीका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को उन सुधारों का विस्तृत ब्यौरा दिया था जो वो चाहता था कि लागू किए जाएं, लेकिन संगठन ने इससे इनकार कर दिया। अधिकारी ने कहा कि चूंकि उन्होंने इन जरूरी सुधारों को अपनाने से मना कर दिया, हम आज उनके साथ अपने संबंध ख़त्म कर लेंगे।
Americans are safer when America is engaged in strengthening global health. On my first day as President, I will rejoin the @WHO and restore our leadership on the world stage. https://t.co/8uazVIgPZB
— Joe Biden (@JoeBiden) July 7, 2020
अमेरिका ने अप्रैल से ही डब्ल्यूएचओ को पैसे देना बंद कर दिया था
ट्रंप प्रशासन के संबंधों की समीक्षा शुरू करने के बाद अमेरिका ने अप्रैल में ही डब्ल्यूएचओ को कोष देना बंद कर दिया था। इसके एक महीने बाद ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संबंध समाप्त करने की घोषणा की थी। अमेरिका डब्ल्यूएचओ को सबसे अधिक कोष, 45 करोड़ डॉलर से अधिक प्रति वर्ष देता है। जबकि चीन का योगदान अमेरिका के योगदान के दसवें हिस्से के बराबर है।
अमेरिका साल 1948 से डब्लूएचओ का पक्षकार रहा है
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा कि मैं कह सकता हूं कि छह जुलाई 2020 को अमेरिका ने महासचिव को विश्च स्वास्थ्य संगठन से हटने की आधिकारिक जानकारी दी जो छह जुलाई 2021 से प्रभावी होगा। दुजारिक ने कहा कि महासचिव डब्ल्यूएचओ के साथ इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि संगठन से हटने की सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं की नहीं। अमेरिका 21 जून 1948 से डब्ल्यूएचओ संविधान का पक्षकार है।