इंडियन आर्मी को टक्कर के लिए चीन का नया दाव, प्रत्येक तिब्बती परिवार के एक सदस्य को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में कर रहा शामिल
इंडियन आर्मी को टक्कर के लिए चीन का नया दाव, प्रत्येक तिब्बती परिवार के एक सदस्य को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में कर रहा शामिल
- एलएसी पर अपनी सैन्य तैनाती को मजबूत करने के लिए चीन का नया दाव
- चीन ने प्रत्येक तिब्बती परिवार के एक सदस्य को पीएलए में भेजना अनिवार्य कर दिया
- तिब्बती युवाओं को पीएलए में शामिल करने से पहले उसका लॉयलटी टेस्ट किया जा रहा
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अपनी सैन्य तैनाती को मजबूत करने के लिए चीन ने नया दाव चला है। चीन ने प्रत्येक तिब्बती परिवार के एक सदस्य को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में भेजना अनिवार्य कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बती युवाओं को पीएलए में शामिल करने से पहले उसका लॉयलटी टेस्ट किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों ने कहा गया है कि चीन एलएसी पर अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, खासकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे एक्सट्रीम वेदर वाले इलाकों में। सरकारी सूत्रों ने बताया, "चीनी सेना ने तिब्बतियों के लॉयल परिवारों से एक-एक सदस्य को शामिल करने के लिए इस प्रोजेक्ट को शुरू किया है। इन सैनिकों को एलएसी पर स्थायी रूप से तैनात किया जाएगा।"
सूत्रों ने कहा, "हमें खुफिया जानकारी मिली है कि चीनी सेना एलएसी पर स्पेशल ऑपरेशन चलाने के लिए तिब्बती युवाओं की भर्ती कर रही है। सूत्रों ने कहा कि तिब्बती युवाओं को कई लॉयलटी टेस्ट से गुजरने के बाद चीनी सेना में शामिल किया जा रहा है - जिसमें चीनी भाषा सीखना और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के वर्चस्व को स्वीकार करना शामिल है।
तिब्बती युवाओं की चीनी सेना में भर्ती इस साल जनवरी-फरवरी में तब शुरू हुई थी जब चीन ने देखा कि भारतीय सेना की स्पेशल फ्रंटियर फोर्सेज में सेवा करते हुए निर्वासित तिब्बतियों ने कैसा प्रदर्शन किया है। तिब्बती युवाओं को पीएलए में शामिल करने के चीन को कई फायदे हैं। लद्दाख जैसे क्षेत्र में तिब्बती सैनिक बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि पीएलए में तिब्बती युवाओं की भर्ती इंडिया की कॉपी करके की जा रही है। पिछले साल पैंगोंग त्सो (झील) के दक्षिणी तट पर चाइनीज एग्रेशन के बाद इंडियन आर्मी की रेगुलर यूनिट्स ने स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के साथ मिलकर उस वक्त चीनी सेना को चौंका दिया था जब उन्होंने फिजिकली मोखपरी, ब्लैक टॉप और अन्य हाइट्स पर कब्जा कर लिया था।
भारत और चीन पिछले साल अप्रैल-मई से सैन्य गतिरोध में हैं और अभी तक डी-एस्केलेशन फॉर्मूला नहीं ढूंढ पाए हैं। हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा हाइट्स सहित कुछ फ्रिक्शन पॉइंट्स पर अभी भी तनाव बना हुआ है। भारतीय और चीनी पक्षों ने सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर कई दौर की बातचीत की है, लेकिन पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी दोनों किनारों पर दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों की सीमित पारस्परिक वापसी को छोड़कर, कोई खास सफलता नहीं मिली है।