पाकिस्तान आर्थिक संकट: कर्ज के बोझ में दबा पड़ोसी मुल्क बेचेगा सरकारी कंपनियां, एयरलाइंस से होगी शुरूआत, आईएमएफ के प्रेशर में लिया फैसला

  • गहरे आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा पाकिस्तान
  • बेचेगा अपनी सरकारी कंपनियां
  • आईएमएफ के दबाव के चलते लिया फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-14 12:05 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपनी सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का निर्णय लिया है। पीएम शहबाज शरीफ ने मंगलवार को प्राइवेटाइजेशन कमीशन की बैठक में इसकी घोषणा की है। उन्होंने कहा, 'बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है, सरकार का काम बिजनेस और देश में निवेश के लिए अच्छा माहौल देना है।' बता दें कि बीते कई सालों से पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। उसे कभी सऊदी अरब तो कभी आईएमएफ से लोन लेने के लिए हाथ फैलाना पड़ता है। देश में इस कदर महंगाई बढ़ रही है कि खाने पीने की चीजें खरीदना आम लोगों के लिए भी मुश्किल हो रहीं है। देश में कई जगह बढ़ती महंगाई को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हाल ही में पाक अधिकृत कश्मीर में महंगाई को लेकर प्रदर्शन हुआ जिसमें 1 पुलिस कर्मी की मौत हो गई जबकि 90 लोग घायल हो गए।

लाइव दिखाई जाएगी कंपनियों की बोली

पाक पीएम शरीफ ने कहा कि उन सभी सरकारी कंपनियों को बेचा जाएगा चाहे वो मुनाफा कमा रही हों या नहीं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार केवल उन्हीं कंपनियों को अपने पास रखेगी जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। इसी के साथ पीएम ने अपने कैबिनेट के सभी मंत्रियों से अपील की है कि वो निजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाने में प्राइवेटाइजेशन कमीशन का सहयोग करें। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के मुताबिक देश में कुल 88 सरकारी कंपनियां हैं।

पीएम शहबाज शरीफ ने कहा है कि कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इन लगने वाली बोली को टीवी पर लाइव दिखाया जाएगा। सबसे पहले पाकिस्तान की एयलाइन कंपनी को प्राइवेटाइज किया जाएगा। कंपनियों को बेचने वाले इस प्रोग्राम को 'प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम 2024-2029' नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत सबसे पहले उन सरकारी कंपनियों को बेचा जाएगा जो घाटे में चल रही हैं। इसके बाद मुनाफा कमाने वाली कंपनियों का नंबर आएगा।

आईएमएफ के प्रेशर में लिया निर्णय

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने अपनी सरकारी कंपनियों को बेचने का यह फैसला आईएमएफ के दबाव में लिया है। दरअसल, आईएमएफ से बेलआउट पैकेज मिलने के बाद पाकिस्तान को कई फैसले लेने पड़ रहे हैं। पिछले साल उसे आईएमएफ से दस हजार करोड़ रुपये का पैकेज मिला था। जिसके बाद आईएमएफ ने तत्कालीन शरीफ सरकार पर कई बड़े और कठोर निर्णय लेने का प्रेशर डाला था, जिनमें सभी तरह की सब्सिडी खत्म करने, प्रेट्रोल-डीजल के साथ बिजली 30 फीसदी तक महंगी करने और टैक्स कलेक्शन 10 फीसदी तक बढ़ाना शामिल था।

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