जापान मून मिशन: जापान के चंद्रयान 'स्लिम' का कमाल, स्लीप मोड में जाने से पहले भेजी आखिर फोटो
- जापान के स्लिम ने की चांद पर सफल लैंडिंग
- सोने से पहले भेजी महत्वपूर्ण तस्वीर
- जापान स्पेस एजेंसी ने की जारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले साल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मून मिशन चंद्रायन 3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। जिसके बाद दुनिया में भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया था। वहीं, साल 2024 में जापान का चंद्रायन भी चांद पर सफलतापूर्व लैंड कर चुका है। इस बीच जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने अपने चंद्रायन के स्मार्ट लैंडर फॉर इंवेस्टिगेटिंग मून (SLIM) के बारे में जानकारी शेयर की है। स्पेस एजेंसी ने बताया है कि चंद्रामा पर उसका चंद्रयान स्लीप मोड में जा चुका है। चंद्रमा के क्रेटर पर जापान के यान की सॉफ्ट लैंडिग के बाद वहां रात हो चुकी है। इस दौरान, यान ने स्लीप मोड में एक्टिवेट होने से पहले उसने अंतिम बार चांद की फोटो शेयर की है।
जापान के इस यान के स्मार्ट लैंडर का शार्ट नाम एसएलआईएम है, जिसे चांद पर जांच करने के लिए लगाया गया है। चांद की यह तस्वीर एक फरवरी को जापान के यान ने अपने ऑनबोर्ड कैमरे से क्लिक की थी। सोशल मीडिया एक्स पर एसएलआईएम ने अपने ऑफिशियल अकाउंट पर स्पेक्ट्रोस्कोपिक इमेजिंग के लक्ष्यों को लेबल की गई सारी फोट्स को पोस्ट किया था। इन तस्वीरों में कई चट्टानों और रेगोलिथ को प्रदर्शित किया गया था, जिनकी वर्तमान में रिसर्च चल रही है। वहीं, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने स्लीम के साथ तीन दिन बाद फिर से संपर्क साधने के तीन दिन बाद यह फोटो शेयर की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 जनवरी को टीम ने पावर को सुरक्षित तौर पर सेफ करने के लिहाज से रोबोटिक अंतरिक्ष यान को ऑफ कर दिया था। जो चंद्रमा पर लैंडिंग करते समय उल्टा हो गया था। दरअसल, लैंडिंग के दौरान यान का सौर पैनल सही दिशा में नहीं जा पाया और लैंडर बिजली उत्नपन्न करने में विफल हो गया।
इसे लेकर जापानी के वैज्ञानिक काफी घबरा भी गए थे। मगर, उन्हें उम्मीद भी थी कुछ दिनों में सूर्य अपने एंगल को चेंज करेगा और लैंडर फिर से चार्ज होना शुरू हो जाएगा। हालांकि, नौ दिनों बाद ऐसा ही हुआ और स्लीम स्लीप मोड से बाहर निकल आया। उधर, पिछले सोमवार से जापान के वैज्ञानिकों की टीम ने यान में मल्टी-बैंड स्पेक्ट्रल कैमरे को अटैच करके क्रेटर के चारों तरफ चट्टानों का एनालिसिस भी किया था। लैक्सा ने लैंडिग स्पोट के चुनने के पीछे का कारण वैज्ञानिकों की ओर से चांद के निर्माण को लेकर स्टडी करना था। इसके अलावा एसएलआईएम ने एक्स पर एमपीसी के स्पेक्ट्रोस्कोपिक इमेजिंग के लक्ष्यों की लेबल वाली छवियां का पोस्ट अपलोड किया था। इन फोटो में कई चट्टानों और रेगोलिथ को भी प्रदर्शित किया गया है। वहीं, इनका अध्ययन भी जारी है।
अपने चंद्रायना को फिर से एक्टिव करने के लिए जापानी एजेंसी जेक्सा को करीब 14.5-पृथ्वी-दिवस लंबी चंद्रमा की रात का इंतजार करना होगा। इस प्रकिया को 15 फरवरी से शुरू किया जाएगा। हालांकि, इसके लिए स्पेस एजेंसी को प्रकाश और तापमान की स्थिति की भी प्रतिक्षा करनी होगी। चंद्रमा पर यान को दोबारा से एक्टिव करने के लिए लगभग 130 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान के हालात से जूझना पड़ेगा। फिलहाल, जापान ने अपने मून मिशन के तहत निर्धारित समय और लक्ष्य पर इसे हासिल कर लिया।