यूएन में गरजा भारत: अस्थायी सदस्यों को तवज्जो न देने पर भड़का भारत, अमेरिका समेत इन देशों को सुनाई खरी-खोटी
- भारत के सदस्य बनने पर बुखलाया चीन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। न्यूयॉर्क में शनिवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में बैठक रखी गई। जिसमें भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद मुद्दें पर बेबाकी से अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत की मांग है कि यूएन के सुरक्षा परिषद में पूर्णता बदलाव होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि परिषद के स्थायी और स्थायी सदस्यों का दायरा भी बढ़ाया जाए। न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दों को लेकर हुई इस बैठक में रुचिरा कंबोज ने इन मांगों को सामने रखा था। यूएन के सुरक्षा परिषद में जहं लंबे समय से भारत जैसे अन्य देश की ओर से बदलाव की मांग उठ रही थी। तो वहीं, चीन सुरक्षा परिषद में बदलाव न किए जाने की जिद्द पर अड़ा हुआ था। संयुक्त राष्ट्र में पांच स्थायी सदस्यों का दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही काफी प्रभुत्व रहा है। अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश परिषद का हिस्सा हैं। कई देशों का मानना था कि परिषद में शामिल यह सभी देश अधिकतर समय उनकी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। इसे देखते हुए भारत ने चीन समेत पांच देशों को कड़ी फटकार लगाई है। यूएन की बैठक में कंबोज का कहना है कि इन पांच स्थायी देश के कारण यूएन में अन्य 188 देशों की सहमति या असहमति की अहमीयत नहीं दी जाती है।
कंबोज ने सुरक्षा परिषद को लेकर कही ये बातें
भारत की प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद की तरफ इशारों में कहा, दुनिया के समस्त देशों के मद्देनजर सुधार काफी मायने रखता है। कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सिर्फ अस्थायी सदस्यों का विस्तार होना ही इस समस्या का समाधान नही हैं। संयक्त राष्ट्र मे यह जरूरी है कि सभी देशों को मौका दिया जाए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि यूएन में अब तक ग्लोबल साउथ के देशों के साथ काफी अन्याय होता रहा है। इस लिहाज से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा में एशियाई और अफ्रिकी देशों को भी उचित स्थान मिलने का पूरा अधिकार है, जिसके वह हकदार है। कंबोज ने कहा कि यूएन सभी देशों के हित में तब तक फैसला करने में सक्षम नहीं होगा, जब तक कमजोर देशों की बात और विचारों को व्यक्त करने की अहमीयत नहीं मिल पाएगी।
यूएन में पहले भी भारत ने रखा था प्रस्ताव
पिछले कई वर्षों से भारत संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता मिलने का प्रस्ताव रख चुका है। इसे लेकर कई देशों ने सहमति भी जताई है। मगर, चीन भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल होते हुए नहीं देखना चाहता है। इसके लिए वह भारत का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध भी कर रहा है। मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल पांच स्थायी सद्सय और दस अस्थायी सदस्य शामिल हैं। यह सभी सदस्य अधिकारिक तौर पर किसी भी प्रस्ताव पर रोक लगा सकते हैं। इस वजह से संयुक्त राष्ट्र में विश्व हित के फैसलों का महत्व कम हो जाता है । ऐसे में यदि इन प्रमुख देशों को किसी भी बात पर आपत्ती होती है। तो संयुक्त राष्ट्र में लाया गया प्रस्ताव उसी समय रद्द हो जाता है।
चीन ने लिए पाकिस्तान का सहारा
इस बीच चीन अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा है। वह संयुक्त राष्ट्र में भारत को रोकने के लिए पाकिस्तान की मदद ले रहा है। इस पर कंबोज का कहना है कि वर्तमान में अन्याय कभी न्याय की जगह नहीं ले सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में जब जी20 का आयोजन हुआ था। तो उसमें अफ्रीकन यूनियन को भी हिस्सा बनाया गया था। इसके जरिए भारत ने यह संदेश दिया था कि कोई भी देश वंचित और कमजोर न रह जाए। कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को भी इस तर्ज पर विचार करना चाहिए।