हिंद महासागर तनाव: भारत की सलाह के बावजूद श्रीलंका का अपने फैसले से यू-टर्न, हिंद महासागर में खतरे का अलर्ट!
- श्रीलंका सरकार ने लिया बड़ा फैसला
- फैसले से भारत की बढ़ी मुसीबत
- हिंद महासागर में भी खतरे का आसार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका ने अपने यहां पर विदेशी अनुसंधान जहाजों पर लगे प्रतिबंधों को अगले साल हटाने का फैसला लिया है। इस बात की पुष्टि जापान की मीडिया ने की है। दरअसल, चीन के उच्च प्रौद्योगीकी वाले जासूसी जहाजों ने श्रीलंका के बंदगाह पर लंगर डालने के संबंध में कई बार अनुरोध किया था। इसके बाद श्रीलंका ने सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर यह प्रतिबंध लगाया गया था।
श्रीलंका के विदेश मंत्री ने दी जानकारी
इस फैसले की सूचना श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने एनएचके वर्ल्ड जापान को दी। इस संबंध में भारत ने हिंद महासागर में लगातार बढ़ रही चीनी अनुसंधान जहाजों की आवाजाही पर चिंता जाहिर की थी। भारत ने चीन के इन जहाजों के जासूसी गतिविधियों से संबंधित होने का अंदेशा जताया था। इस पर भारत ने कोलंबो से अनुरोध किया था कि वह अपने बंदरगाहों पर इस तरह के जहाजों को प्रवेश करने की इजाजत न दें।
भारत की सलाह पर श्रीलंका ने जनवरी में बंदरगाह पर विदेशी अनुसंधान जहाजों के लंगर डालने पर पाबंदी लगा दी थी। हालांकि, श्रीलंका ने एक चीनी जाहज को लंगर डालने की अनुमति दे दी थी। इस बारे में एनएचके वर्ल्ड जापान की शुक्रवार को एक रिपोर्ट में जानाकरी साझा की गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्री अल साबरी ने कहा था कि श्रीलंका सरकार हर देश के लिए अलग तरह के नियम नहीं बना सकती है। साबरी ने कहा कि श्रीलंका अन्य देशों के बीच विवाद में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
साल 2025 से हटेगा प्रतिबंध
श्रीलंका ने विदेशी अनुसंधान जहाजों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला अगले साल यानी 2025 के जनवरी तक लिया है। विदेश मंत्री ने कहा है कि श्रीलंका में अगले साल के जनवरी से विदेशी अनुसंधान जहाजों को पुन: लंगर डालने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, चीन के दो जासूसी जहाजों को श्रीलंका के बंदगाहों पर लंगर डालने की इजाजत दी गई थी।