चौथी महिला नीति: महाराष्ट्र में अब अधिकृत दस्तावेजों में माता का नाम लिखना हो गया है अनिवार्य
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राज्य सरकार ने की घोषणा
- 10 साल के अंतराल के बाद आई चौथी महिला नीति
- कामकाजी महिलाओं के लिए बनेंगे सखी निवास
डिजिटल डेस्क, मुंबई. प्रदेश में अब अधिकृत दस्तावेजों पर मां का नाम लिखना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार की चौथी महिला नीति में यह प्रावधान किया गया है। फिलहाल सरकारी दस्तावेजों में बच्चों के नाम के आगे पिता का नाम लिखा जाता है। जबकि बच्चों के नाम के ठीक बाद माता का नाम लिखना ऐच्छिक था। मगर अब बच्चों को अपने नाम के आगे माता का नाम लिखना अनिवार्य हो जाएगा। शुक्रवार को अंतराराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महाराष्ट्र की नई महिला नीति की घोषणा की गई। नई महिला नीति आठ सूत्रों के आधार पर तैयार की गई है।
उपमुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री अजित पवार ने विश्वास जताते हुए कहा कि इस नीति से महिलाओं के सशक्तिकरण को गति मिलेगी। नई महिला नीति में अर्धसरकारी और निजी कंपनियों को मातृत्व और पितृत्व अवकाश का प्रस्ताव है। राज्य में कामकाजी महिलाओं के लिए सखी निवास (छात्रावास) जिला स्तर पर शुरू किए जाएंगे। असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाली और गन्ना कटाई करने जैसे अस्थाई काम करने वाली महिलाओं के लिए छात्रावास स्थापित करने का विचार किया जाएगा। महानगर पालिकाओं और नगर पालिकाओं के प्रभागों में महिला बचत समूह को स्टॉल लगाने के लिए जगह देने का विचार किया जाएगा। अधिक महिलाओं वाले आस्थापना के स्थल पर मांग के अनुसार पालना घर शुरू किया जाएगा
स्वास्थ्य और पोषण आहार
राज्य के सुदूर शहरी, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में मुफ्त जांच के लिए स्वास्थ्य जांच शिबिर आयोजित किए जाएंगे। महिलाओं को कैंसर, टीबी, अंतःस्त्रावी, मूत्र मार्ग संक्रमण, रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म का बंद होना) आदि समस्या के लिए उपाचर सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
शिक्षा और कौशल्य
राज्य के ग्रामीण, शहरी और आदिवासी इलाकों के माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में किशोरी लड़कियों का 100 प्रतिशत दाखिला सुनिश्चित किया जाएगा। कौशल्य विकास कार्यक्रम के तहत प्रत्येक क्षेत्र की जरूरत को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक जोन का वर्गीकरण किया जाएगा।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर नियंत्रण
सभी सार्वजनिक और निजी आस्थापना में लैंगिक अत्याचार प्रतिबंध (पीओएसएच) कानून के तहत स्थानीय समिति बनाई जाएगी। सभी पुलिस मुख्यालय में भरोसा कक्ष बनाया जाएगा।
महिला खिलाड़ियों के लिए खेल नीति
राज्य में लड़कियों और महिला खिलाड़ियों के लिए आधारभूत सुविधा, प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता देने के लिए विशेष खेल नीति घोषित की जाएगी।
लिंग समानता प्रशासन और राजनीतिक भागीदारी
निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के लिए नेतृत्व, योजना, बजट, कार्यक्रम, प्रबंधन नियंत्रण और मूल्यांकन आदि घटकों का समावेश वाला एक मॉड्यूल तैयार किया जाएगा। इसके जरिए सर्वसमावेशीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
महिलाओं को बताए जाएंगे नियम
समुद्री किनारे रहने वाली महिलाओं को पर्यावरण नियमों के संबंध में अवगत कराया जाएगा। आपदा प्रंबधन में महिलाओं को फैसला लेने और नेतृत्व करने की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास किया जाएगा।
नीति लागू करने समिति
नई महिला नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति स्थापित की गई है। जबकि राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे की अध्यक्षता में विशेष कृति (एक्शन) समिति का गठन किया गया है। वहीं जिला स्तर पर पालक मंत्रियों की अध्यक्षता में सुकाणू समिति बनाई गई है। नई महिला नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के संबंध में राज्य के महिला व बाल विकास विभाग ने शासनादेश जारी कर दिया गया है।
क्यों पड़ी नई नीति की जरूरत
राज्य की पहली महिला नीति 1994 में घोषित की गई थी। इसके बाद साल 2001 में दूसरी और साल 2014 में तीसरी महिला नीति को लागू किया गया था। तीसरी महिला नीति को घोषित हुए 10 साल का अंतराल बीत गया था। इसके मद्देनजर सरकार ने अब चौथी महिला नीति घोषित की गई है।
चौथी महिला नीति अलग क्यों?
चौथी महिला नीति को लागू करने के लिए प्रारूप तैयार किया गया है। इस नीति की प्रगति को गिनने के लिए निर्देशांक निश्चित किया गया है। सरकार के विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई है।