किसान आंदोलन पर विवादित बयान: कंगना रानौत के विवादित बयान से किनारा करना बीजेपी की कितनी बड़ी मजबूरी? पहले ही हो चुका है इतनी सीटों का नुकसान
- कंगना रनौत के भड़काऊ बयान पर विपक्ष का हंगामा
- BJP ने कंगना को दी चिट्ठी के जरिए चेतावनी
- बढ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरो शोरों से जारी है। इसी बीच हिमाचल की मंडी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत ने किसान आंदोलन को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी। कंगना के इस बयान को लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा किया। यहां तक कि, विपक्ष ने सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की भी मांग की है। कंगना ने अपने बयान में पंजाब का जिक्र किया है लेकिन उनके इस बयान के चलते बीजेपी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
कंगना की टिप्पणी
सांसद कंगना रनौत ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में कहा- पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। किसान बिल को वापस ले लिया गया, वर्ना उपद्रवियों की लंबी उपद्रवियों की लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे। अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो पंजाब को बांग्लादेश बना दिया जाता।
कंगना के बयान पर बीजेपी का एक्शन
कंगना के भड़काऊ बयान के बाद काफी बवाल मच गया। बीजेपी ने इससे अपना किनारा कर लिया है। पार्टी ने ऐतराज जाहिर करते हुए एक चिट्ठी जारी की है। चिट्ठी में लिखा कि, "कंगना का दिया बयान, पार्टी का मत नहीं है। बीजेपी कंगना के इस बयान से असहमति व्यक्त करती है। पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत है।" साथ ही, बीजेपी ने कंगना रनौत को निर्देश देते हुए कहा है कि भविष्य में वह ऐसे बयान कभी ना दें।
बीजेपी की मुश्किलें
भारती जनता पार्टी को पहले ही किसान आंदोलन के चलते जाट मतों का भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इसका असर लोकसभा चुनाव में साफ-साफ देखने को मिला। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने 27 फीसदी जाट वोट हासिल किए। वहीं, 23 फीसदी वोट हाथ से चले गए। इस साल भाजपा को कुल 5 सीटों का नुकसान हुआ। दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो पार्टी ने 64 फीसदी जाट वोट हासिल किए और उन्हें 31 फीसदी का फायदा हुआ। आपको बता दें कि, हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 36 सीटों पर सीधे तौर पर जाट वोट बैंक का दबदबा है। जो कि बहुमत के आंकड़े से 10 सीट कम है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर, जो पार्टी जाट वोट बैंक को साधने में कामयाब रही वह सत्ता की चाभी पा सकती है।