पतंजलि आयुर्वेद ने लॉन्च की कोरोना की नई दवा, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी भी रहे मौजूद
पतंजलि आयुर्वेद ने लॉन्च की कोरोना की नई दवा, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी भी रहे मौजूद
- 158 देशों को कोरोना से निपटने में मदद मिलेगी
- दवा के साथ एक रिसर्च पेपर भी जारी किया गया
- पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार दवा WHO द्वारा सर्टिफाइड है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। योगगुरू बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने आज कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक नई दवा पेश की है। इस दवा का नाम भी कोरोनिल ही है। बाबा रामदेव का कहना है कि यह दवा WHO द्वारा सर्टिफाइड है। नई दवा के लॉन्च के मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौजूद रहे। पतजंलि का कहना है कि इस दवा से दुनिया के 158 देशों को कोरोना से निपटने में मदद मिलेगी।
बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोनिल की वजह से लाखों लोग कोरोना से ठीक हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस औषधि को बनाने में कोरोना के सभी प्रोटोकॉल को फॉलो किया गया है।
Delhi: Yog Guru Ramdev releases scientific research paper on "the first evidence-based medicine for #COVID19 by Patanjali".
— ANI (@ANI) February 19, 2021
Union Health Minister Dr Harsh Vardhan and Union Minister Nitin Gadkari are also present at the event. pic.twitter.com/8Uiy0p6d8d
बता दें कि इससे पहले पतंजलि ने 23 जून 2020 को कोरोना के लिए कोरोनिल लॉन्च की थी, जिसमें 7 दिन में कोरोना के इलाज का दावा किया गया था। हालांकि लॉन्च होने के साथ ही इस दवा को विवादों का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद पतंजलि ने कहा था कि यह दवा कोरोना को खत्म करने का दावा नहीं करती है बल्कि इम्युनिटी बूस्टर है।
फिलहाल आज दवा की लॉन्चिंग के साथ ही इस दौरान एक रिसर्च पेपर भी जारी किया गया, जिसे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और डॉ. हर्षवर्धन ने लॉन्च किया। पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार इस दवा को 100 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है। पतंजलि का कहना है कि इन दवाओं से न सिर्फ इम्युनिटी मजबूत होगी बल्कि कोरोना को भी खत्म किया जा सकेगा।
वहीं डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यदि कोरोना के दौर में आयुर्वेदिक दवाओं को पहचान मिलती है तो फिर इससे अच्छा कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में आयुर्वेद की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ 50 फीसदी तक पहुंच गई है, जो कोरोना से पहले 15 से 20 फीसदी के करीब ही रहा करता था।