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Nagpur News: बच्चों में बढ़ रही सफेद दाग की बीमारी, मेडिकल में आ रहे सालाना 180 नए मरीज
- सफेद दाग (विटिलिगो) को लेकर समाज में अलग-अलग भ्रांतियां
- अब बच्चों को भी यह बीमारी होने लगी
- असंतुलित खान-पान है प्रमुख कारण
Nagpur News सफेद दाग (विटिलिगो) को लेकर समाज में अलग-अलग भ्रांतियांहै, जबकि यह बीमारी अनुवांशिक (जन्म के साथ) और जन्म के बाद भी हो सकती है। यह संक्रामक नहीं, बल्कि अन्य बीमारी की तरह सामान्य बीमारी है। अब बच्चों को भी यह बीमारी होने लगी है। मेडिकल के त्वचा रोग विभाग में सालाना औसतन 1500 मरीज सफेद दाग की बीमारी का उपचार करवाने पहुंचते हैं। इनमें 30 फीसदी मरीजों की आयु 6 से 10 साल की होती है। 6 से 10 साल के बच्चों में यह बीमारी पाई जा रही है। 4 साल पहले बच्चों में इस बीमारी का प्रमाण 10 फीसदी था। बच्चों में यह बीमारी होने का प्रमुख कारण असंतुलित खान-पान बताया गया है। लक्षण दिखते ही उपचार शुरू नहीं करने पर यह बीमारी फैलती है।
इन कारणों से होती है बीमारी : मेडिकल के त्वचा रोग विभाग प्रमुख डॉ. जयेश मुखी के अनुसार, पिछले कुछ सालों में अलग-अलग त्वचा विकारों का प्रमाण बढ़ा है। इसका प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खानपान, इम्युनिटी की कमी प्रमुख कारण है।
बच्चों के मामले में जंक फूड, केमिकल युक्त खान-पान, बाहरी फ्रायड खान-पान, पिज्जा-बर्गर जैसी ओवन में बनाए जाने वाले पदार्थ आदि के कारण सफेद दाग हो सकते हैं। ओवन में बनने वाले खाद्य पदार्थों में अल्ट्रावायलेट किरणों के तापमान की अधिकता से शरीर का रंग प्रभावित होता है।
आटोइम्यून डिसऑर्डर से प्रभावित व्यक्ति के शरीर में मेलानोसाइट नष्ट होने पर यह बीमारी हाेने की संभावना होती है। किसी को अनुवांशिकता से भी बीमारी होती है। 30 फीसदी मरीजों में यह कारण होता है।
न्यूरोजेनिक कारणों से मेलोनोसाइट नष्ट होने पर यह बीमारी होने का खतरा होता है। मेलेनिन तैयार करनेवाली त्वचा कोशिका मेलानोसाइटस् द्वारा प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया जाता है, जिससे त्वचा अपना रंग खो देती। बाद में त्वचा पर सफेद, चिकने धब्बे बन जाते हैं।
विटामिन बी 12, डी, ई, डी 3 आदि की कमी से सफेद दाग की बीमारी होती है। विटामिन बी 12 की कमी से चेहरे पर सफ़ेद दाग के अलावा, कमज़ोरी, थकान, कब्ज़, भूख में कमी, और वज़न कम होना जैसे लक्षण भी होते हैं। त्वचा पर चोट या जलन के कारण भी सफेद दाग होने की संभावना बनी रहती है। यह बीमारी किसी भी धर्म, जाति-संप्रदाय के लोगों काे हो सकती है।
Created On :   18 Oct 2024 7:56 PM IST