बच्चाें की याददाश्त कमजोर करता है मोटापा, सोचने और योजना बनाने की क्षमता पर भी पड़ता है असर
बच्चाें की याददाश्त कमजोर करता है मोटापा, सोचने और योजना बनाने की क्षमता पर भी पड़ता है असर
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। दुनिया भर में महामारी की तरह फैलते जा रहे माेटापे को लेकर एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि इससे बच्चाें की याददाश्त भी कमजोर होती है। अध्ययन की मानें तो मोटापे से ग्रस्त बच्चाें के सामान्य वजन वाले बच्चाें के मुकाबले न सिर्फ याददाश्त कमजोर होती है, बल्कि उन्हें सोचने और योजना बनाने में भी मुश्किलें पेश आती हैं।
वेरमॉन्ट यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन में 10 सालाें तक 10 हजार टीनेजर्स का डेटा लिया गया और फिर उसका विश्लेषण हुआ। शोध में हर दो साल के दौरान सभी प्रतिभागियाें की जांच की गई और उनके ब्लड सैंपल भी चेक हुए, साथ ही उनके दिमाग की स्कैनिंग भी की गई। इस स्टडी ने वैज्ञानिकाें की इससे पहले हुए एक स्टडी को सपोर्ट किया, जिसमें कहा गया था कि ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले बच्चों की वर्किंग मेमोरी कमजोर होती है।
वेरमॉन्ट यूनिवर्सिटी की जेनिफर लॉरेंट ने बताया कि इस अध्ययन में भी शोधकर्ताओं को पता चला कि ज्यादा बीएमआई बच्चाें का सेरेब्रल कॉर्टेक्स पतला हो जाता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स एक परत है जो दिमाग के बाहरी हिस्से को ढकती है। इसके पतले होने से दिमाग की सोचने, याद रखने जैसी क्षमताएं प्रभावित हो जाती हैं।
इससे पहले द लैंसेट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया के करीब एक तिहाई निम्न आय वाले देशों को मोटापे और कुपोषण की दोहरी मार से जूझना पड़ रहा है। ऐसा खाद्य प्रणाली में हुए बदलावों की वजह से हो रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ वर्षों से निम्न आय वाले देशों में सुपरमार्केट बढ़ गए हैं और ताजा खाद्य बाजार खत्म होने लगे हैं जिससे स्थिति खराब हुई है।
जेनिफर कहती हैं कि हमें बच्चाें की डाइट में बदलाव के साथ-साथ उनमें एक्सरसाइज करने की इच्छा को पैदा करना होगा क्याेंकि मोटापा न सिर्फ उन्हें बीमारियां देगा बल्कि सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित करेगा। इस अध्ययन के नतीजे जामा पीडिएट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।