बायोटेक्नोलोजी में दुनिया में अव्वल बन सकता है भारत : हर्षवर्धन

बायोटेक्नोलोजी में दुनिया में अव्वल बन सकता है भारत : हर्षवर्धन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-22 03:30 GMT
बायोटेक्नोलोजी में दुनिया में अव्वल बन सकता है भारत : हर्षवर्धन

नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने गुरुवार को कहा कि भारत बायोटेक्नोलोजी के क्षेत्र में दुनिया में अव्वल बन सकता है।

डॉ. हर्षवर्धन यहां बायोटेक्नोलोजी पर आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, भारत में बायोटेक्नोलोजी के क्षेत्र में दुनिया में शीर्ष स्थान पर उभरकर आने की क्षमता है। भारत में विशेषज्ञता है और हाल के दशकों में भारत में बायोटेक्नोलोजी के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने सैकड़ों बायोटेक्नोलोजी पार्क और इन्क्यूबेटर्स की स्थापना करके इस क्षेत्र को प्रोत्साहन प्रदान किया है। साथ ही सरकार ने हजारों स्टार्टअप को सहायता प्रदान की है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने 2030 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया में भारत को शीर्ष स्थान पर लाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में विज्ञान के प्रकाशनों में भारत में पांच फीसदी की वृद्धि हुई है और इस क्षेत्र में भारत में भारत ने 14 फीसदी की वृद्धि हासिल की है।

डॉ. हर्षवर्धन और पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस व इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस तीन दिवसीय सम्मेलन ग्लोबल बायो-इंडिया समिट 2019 के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया।

प्रधान ने इस मौके पर कहा कि सरकार ने ऑटोमोटिव ईंधन में 20 फीसदी एथनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने कहा, जब हमने कार्यभार संभाला था तब एथनॉल मिश्रण एक फीसदी से भी कम था जो आज छह फीसदी हो गया है और आगे हमने 20 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है।

इस सम्मेलन में 30 देशों के करीब 3,000 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मेलन में देश-विदेश से आए विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं व नवोन्मेषकों के साथ-साथ स्टार्टअप और इस क्षेत्र से जुड़ी छोटी-बड़ी कंपनियों को बायो-मैन्युफैक्च रिंग, क्लीनिकल ट्रायल और दवाइयों की खोज के क्षेत्र की संभावनाओं और चुनौतियों पर मंथन करने का अवसर मिलेगा।

सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और इसकी जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद द्वारा कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के सहयोग से किया जा रहा है।

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