आपके आसपास की हवा कहीं आपकी हड्डियों को कमजोर तो नहीं बना रही? वायु प्रदूषण पर हुए हैं कई चौंकाने वाले खुलासे, इस कैमिकल की वजह से महिलाओं को ज्यादा नुकसान

एयर पॉल्यूशन का हड्डियों पर असर आपके आसपास की हवा कहीं आपकी हड्डियों को कमजोर तो नहीं बना रही? वायु प्रदूषण पर हुए हैं कई चौंकाने वाले खुलासे, इस कैमिकल की वजह से महिलाओं को ज्यादा नुकसान

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-01 09:12 GMT
आपके आसपास की हवा कहीं आपकी हड्डियों को कमजोर तो नहीं बना रही? वायु प्रदूषण पर हुए हैं कई चौंकाने वाले खुलासे, इस कैमिकल की वजह से महिलाओं को ज्यादा नुकसान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक नए शोध में पता चला है कि जो व्यक्ति ज्यादा वायु प्रदूषण वाले इलाके में रहते हैं, उनकी हड्डियां कमजोर होने के चांसेस उतने ही बढ़ जाते हैं। इन इलाकों में रहने वाले लोगों की हड्डियां इतनी ज्यादा नाजुक हो जाती है कि हल्की-फुल्की चोट के बाद उनकी हड्डियां टूट सकती हैं। साथ ही उन्हें इन इलाकों में रहने के बाद ऑस्टियोपोरोसिस जैसी क्रोनिक बीमारियों की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी का एक रोग है, जिससे फ़्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। क्रोनिक  बीमारियां वो होती हैं जो लंबी अवधि की, गंभीर और अनुवंशिक होती हैं।

उम्र के साथ ऑस्टियोरोसिस होने की संभावानएं बढ़ जाती है। आमतौर पर उन महिलाओं में जिनका मेनोपॉज हो चुका है। जानकारी के मुताबिक, मेनोपॉज वह स्थिति है जब महिला में मासिक चक्र की प्रक्रिया रुक जाती है। बता दें कि, पिछले छह सालों से 9041 महिलाओं का डेटा जमा किया गया था। इसमें वो महिलाएं भी शामिल थी जिन्हें मेनोपॉज हो चुका था। इस स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने इन महिलाओं की हड्डियों की खनिज घनत्व की जांच की।

वायु प्रदुषण बनी गंभीर समस्या

साथ ही वैज्ञानिकों ने इन महिलाओं के घरों के आसपास नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और पीएम 10 की भी जांच की। (हवा में मौजूद वैसा कण जो 10 माइक्रोमीटर से भी छोटे हैं, उसे पीएम 10 कहते हैं।) स्टडी के दौरान इन महिलाओं की रेड ब्लड सेल्स की गोलाई भी जांची गई । जिससे उनकी सेहत का सही-सही अनुमान लगाया जा सके। शोध में पता चला कि जिन इलाकों में इन जहरीली गैसों और प्रदूषण का स्तर ज्यादा था, उन इलाकों में महिलाओं की हड्डियां बेहद कमजोर थी। खासतौर से गला, रीढ़ और कूल्हे की। 

शोध में हुए कई खुलासे

न्यूयॉर्क में मौजूद कोलंबिया यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल साइंटिस्ट डिडियर प्राडा ने बताया कि केवल खान-पान से ही इंसान की हड्डियों को मजबूती नहीं मिलती है, बल्कि वह कहां रहता है, वहां का मौसम कैसा है। उस इलाके में वायु प्रदषूण का स्तर क्या है। इन सभी फैक्टर का बहुत बड़ा योगदान होता है। जिन शहरों या कस्बों में वायू प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है, वहां हड्डियां टूटने की संभावनाएं ज्यादा होती है। वहां रहने वाले लोगों में हड्डियों की ताकत हर बीतते दिन के साथ कम होती चली जाती है।

स्टडी में पता चली ये बातें

प्राडा ने स्टडी के मुताबिक बताया कि नाइट्रोजन से जुड़े प्रदूषणकारी तत्वों का सीधा असर इंसानों की रीढ़ की हड्डियों पर होता है। प्राडा ने बताया कि पिछले तीन सालों में नाइट्रोजन से जुड़े प्रदूषणकारी तत्वों की वजह से रीढ़ की हड्डियों से जुड़ी हुई समस्याओं में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। शोध में इस बात का भी पता चला कि वायु प्रदूषण की वजह से हड्डियों की कोशिकाएं जल्दी मरने लगती हैं। साथ ही इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बनने का भी खतरा बढ़ जाता है, जिसकी वजह से हड्डियो में जहरीले तत्व मिलने लगते हैं। हालांकि पहली बार डिडियर प्राडा की टीम को इस बात जानकारी मिली है कि नाइट्रोजन ऑक्साइड्स की वजह से रीढ़ की हड्डियों के अलावा शरीर की अन्य हड्डियों को ज्यादा नुकसान होता है। 

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