हेल्थ: अल्कोहल और खराब खानपान से बढ़ रही फैटी लिवर की समस्या, भारत में हर वर्ष 50 हजार ट्रांसप्लांट की जरुरत, हो रहे सिर्फ 1500!
लिवर रोग समस्या का मुख्य कारण अल्कोहल
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत में फैटी लिवर की समस्या अब आम हो चली है। वहीं सही समय पर इलााज ना मिलने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। देश में लिवर रोग समस्या का मुख्य कारण अल्कोहल है। वहीं दूसरा कारण में डायबिटीज और मोटापा है। यह कहना है, डॉ. शैलेंद्र ललवानी (एचओडी और कंसल्टैंट- लिवर ट्रांसप्लांटेशन एवं हेपेटो-पैंक्रिअटिक बाईलरी सर्जरी, एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स, दिल्ली) का। उन्होंने बताया कि, लिवर रोग स्वास्थ्य एक गंभीर बीमारी है, ऐसे में बीमारी के गंभीर बनने के खतरे को कम करने के लिए नियमित तौर से जाँच कराया जाना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि, देश में हर साल करीब 50 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की आपश्यकता है। हालांकि, प्रति वर्ष करीब 3000 की लिवर ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। इनमें भी 1500 से 2000 तक बाहरी देशों के मरीज होते हैं। हालांकि, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नियमित व्यायाम से लिवर रोग से बचा जा सकता है।
लिवर ट्रांसप्लांट का भारत में खर्चा
डॉ. शैलेंद्र ने बताया कि, लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च भारत में 16 लाख रुपए से शुरू होकर करीब 35 लाख तक है। यह अलग अलग अस्पतालों के हिसाब से भिन्न होता है। हालांकि, ट्रांसप्लांट की आवश्यकता लिवर के 80 से 90 फीसदी तक खराब होने के बाद ही पड़ती है। उन्होंने बताया कि, दिल्ली स्थित मशहूर एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स ने मेडिलिव लीवर, भोपाल के साथ मिलकर ओपीडी की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य क्रोनिक लिवर रोगों से पीड़ित मरीजों को विशेषज्ञ परामर्श के साथ विश्वस्तरय उपचार प्रदान करना है।
लिवर प्रत्यारोपण का सक्सेस रेट
लिवर ओपीडी के बारे में बताते हुए डॉ. शैलेंद्र ललवानी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में लिवर सम्बन्धी रोगों में काफी वृद्धि हुई है, जिनमें से कुछ जानलेवा भी रहे हैं। लिवर के रोग, जैसे लीवर सिरोसिस, फैटी लिवर रोग, हेपेटाईटिस, और लिवर ट्यूमर युवाओं में भी तेजी से बढ़ने लगे हैं। लिवर उपचार में प्रगति के साथ, लोगों के लिए यह जानना आवश्यक है कि लिवर सिरोसिस के उपचार के लिए लिवर प्रत्यारोपण की उच्च सफलता दर है। चिकित्सा प्रौद्योगिकी और चिकित्सा प्रक्रियाओं में प्रगति के साथ, लिवर प्रत्यारोपण एक जीवन रक्षक बन गया है जो अंतिम चरण के रोगों से पीड़ित लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकता है।