क्या आपको मालूम है स्मार्टफोन से फैल रहा है ग्लोबल वार्मिंग का खतरा, धीरे-धीरे बढ़ा रहा है धरती की मुश्किलें!

अलर्ट क्या आपको मालूम है स्मार्टफोन से फैल रहा है ग्लोबल वार्मिंग का खतरा, धीरे-धीरे बढ़ा रहा है धरती की मुश्किलें!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-11-01 09:29 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्मार्टफोन हमारे रोज के जीवन का एक खास हिस्सा बन गया है। हम इसका इस्तेमाल कई तरीको से करते हैं, काम हो या फिर सुबह के लिए अलार्म सेट करना यह हर पहलू पर खड़ा उतरता है, यह दुनिया में कहीं भी दोस्तों और परिवार से संपर्क करने में साथ देता हैं। इसने हमारे जीवन को पहले की तुलना में काफी आसान बना दिया है पर क्या अपको मालूम है यह धीरे-धीरे धरती को अंदर से कमजोर बनाता जा रहा है।

85 से 95 फीसदी कार्बन रिलीज़
किसी भी चीज को मैन्यूफैक्चर करने में कार्बन रिलीज़ होता है, कार्बन के रिलीज़  होने से बर्फ पिघलना शूरु कर देते हैं, तापमान में बढ़ोतरी होती है जिससे कई बार जंगलों में आग लग जाती है, सूखा पड़ना शूरु हो जाता है और साथ ही समुद्री जलस्तर में भी बढ़ोतरी देखने को मिलती है। लोगों के हर दो साल पर स्मार्टफोन बदलने की वजह से दुनियाभर में इसकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है। मैक्मास्टर यूनिवर्सिटी ने अपनी एक स्टडी में बताया है कि हर साल फोन बनाने में  85 से 95 फीसदी कार्बन रिलीज़ होता है।

200 करोड़ से ज्यादा बनता है ई-वेस्ट
एक साईट स्टेस्टिा डॉट कॉम ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार साल 2021 तक लगभग 153.53 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन बिक चुके हैं, इन स्मार्टफोन से हर साल लगभग 200 करोड़ से ज्यादा ई-वेस्ट बनते हैं, ई-वेस्ट से दो घातक पदार्थ मर्करी और साइनाइड निकलते जो नीचे जाकर ग्राउंडवॉटर को प्रदूषित करते हैं। 

इस देश आता है सबसे ज्यादा ई-वेस्ट 
देशों में स्मार्टफोन की बढ़ती जरूरतों के साथ इसका ई-वेस्ट भी हर साल बढ़ता जाता है, 2019 के रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा ई-वेस्ट 10,129 मीट्रिक टन चीन से बाहर आए हैं। इस मामले में भारत भी कम नहीं है यहां 3230 मीट्रिक टन ई-वेस्ट पाया गया था। 

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