क्या कार्यकाल खत्म होने के थोड़े दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में एसटी, एससी, ओबीसी और महिला जजों की कमी का मुद्दा उठाया? जाने सच
फैक्ट चैक क्या कार्यकाल खत्म होने के थोड़े दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में एसटी, एससी, ओबीसी और महिला जजों की कमी का मुद्दा उठाया? जाने सच
डिजिटल डेस्क, भोपाल। 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बीच भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जिनका कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म होने जा रहा है, उनका एक बयान इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस बयान राष्ट्रपति कोविंद ने न्यायपालिका में महिला, एससी, एसटी और ओबीसी जजों की कमी पर चिंता व्यक्त की है। उनका यह बयान एक न्यूज रिपोर्ट में लिखा है।
सोशल मीडिया कुछ लोग इस रिपोर्ट को शेयर कर उन पर निशाना साध रहे हैं।
एक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा, "पिछले 5 साल संघवाद के साथ मजबूती के खड़ा रहने के बाद विदाई के वक्त दलित, ओबीसी, आदिवासी याद आए दलित राष्ट्रपति को।"
पड़ताल - हमने वायरल न्यूज रिपोर्ट जिसमें राष्ट्रपति का बयान था उसके बारे में जानकारी एकत्रित की। हमने कीवर्ड की मद्द से इस न्यूज रिपोर्ट को सर्च किया। हमारी सर्च में हमने पाया कि अखबार की इस कटिंग को 2017 में कई फेसबुक यूजर्स ने शेयर किया था।
हमें कई मीडिया रिपोर्टस भी अपनी सर्च में मिली जिनके मुताबिक इस 25 नवंबर 2017 में राष्ट्रपति कोविंद ने यह बयान को राष्ट्रीय विधि दिवस सम्मेलन के मौके पर आयोजित सम्मेलन में दिया था।
इसके अतिरिक्त हमें अपनी पड़ताल में डीडी नयूज की यूट्यूब चैनल पर राष्ट्रपति कोविंद के बयान का वीडियो भी मिला। इस वीडियो को भी 25 नवंबर 2017 को अपलोड किया गया था।
हमारी पड़ताल से ये साफ हो गया कि वायरल बयान राष्ट्रपति कोविंद का अभी का दिया हुआ नहीं बल्कि पुराना है। इसे गलत दावे के साथ आज का बताकर शेयर किया जा रहा है।