कोर्ट ने दिया बीजेपी प्रवक्ता पर FIR दर्ज करने का आदेश
केजरीवाल का फर्जी वीडियो ट्वीट कोर्ट ने दिया बीजेपी प्रवक्ता पर FIR दर्ज करने का आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश संबित पात्रा की तरफ से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक फर्जी वीडियो पोस्ट करने के संबंध में दिया गया है। दरअसल पात्रा ने इस साल जनवरी में अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो साझा किया था। इस वीडियो में पात्रा के द्वारा दिखाया गया था कि अरविंद केजरीवाल कैसे तीनों नए कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे थे। ट्वीटर पर इस विडियो के शेयर करने के बाद संबित पात्रा को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। बाद मे पात्रा द्वारा इस वीडियो को डिलीट कर दिया गया था।
स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी ने इस मामले में 4 फरवरी 2021 को दिल्ली पुलिस के पास शिकायत की थी। पुलिस की तरफ से कोई कारवाई ना होने पर पार्टी की लीगल टीम ने इस मामले को कोर्ट में पेश किया था। इस मामले में अब नौं महीने बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है, कोर्ट नें पात्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने की बात कही है। आपको बता दे कि, कोर्ट के इस फैसले पर अभी तक संबित पात्रा और पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
आम आदमी पार्टी कृषि कानूनों का करते रही हैं विरोध
जहां 19 नवंबर को यू टर्न लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। वहीं आम आदमी पार्टी शुरूआत से ही तीनों नए कृषि कानूनों का विरोध करती रही है। राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन का पार्टी नें बढ़-चढ़कर समर्थन किया है।
क्या है वायरल वीडियो का सच?
असली वीडियो 15 जनवरी को जी न्यूज के साथ केजरीवाल के एक इंटरव्यू की है। इंटरव्यू में केजरीवाल, पंजाब,हरियाणा और हिमाचल के एडिटर-इन-चीफ दिलीप तिवारी और एसोसिएट एडिटर जगदीप संधू से बातचीत कर रहे थे। वायरल हुए वीडियो में इंटरव्यू के कुछ हिस्सों को खास तौर पर एडिट कर के शेयर किया गया है। एडिटेड वीडियो में केजरीवाल को कृषि कानूनों की वकालत करते देखा जा सकता था। लेकिन, वास्तव में, दिल्ली के सीएम ने कहा था, “केंद्र सरकार को होश में आना चाहिए और तीनों कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेना चाहिए। केंद्र को पूंजीपतियों के दबाव को दूर कर किसानों की बात सुननी चाहिए। टकराव से बचने के लिए इन कृषि कानूनों को 26 जनवरी से पहले खत्म कर दिया जाना चाहिए।
इन सब रिपोर्ट से यह बात साफ हो जाती है कि वायरल की गई वीडियो फर्जी थी और इसे गलत दावे के साथ शेयर किया गया था।