फैक्ट चेक: क्या झारखंड में माईका खनन में 20 हजार की मैपिंग NCPCR की ओर से की जा रही है? जानिए वायरल खबर की सच्चाई

  • झारखंड में माईका खनन को लेकर वायरल हो रहा दावा
  • पीआईबी ने किया फैक्ट चेक
  • बताया दावे को भ्रामक

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-04 18:39 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंटरनेट पर आए दिन कई तरह की फर्जी खबरें वायरल होती रहती हैं। इन खबरों को सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर गलत उद्देश्य या गलत सूचना के तहत प्रचार कर लोगों को वास्तविक तथ्यों से भ्रमित किया जाता है। इन दिनों एक न्यूज पेपर में कुछ ऐसी ही एक खबर वायरल हो रही है। जो लोगों को काफी भ्रमित कर रही है। दरअसल, यह खबर हिंदुस्तान अखबार के झारखंड संस्करण में माईका खनन में काम करने वाले बाल मजदूरी से संबंधित है। इस खबर में दावा किया गया है कि माईका खान में काम करने वाले 20 हजार नाबालिक बच्चों की मैपिंग राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से की जाएगी।

पीआईबी ने किया फैक्ट चेक

सोशल मीडिया पर वायरल इस खबर में दावे की सच्चाई जानने के लिए सरकारी न्यूज एजेंसी पीआईबी ने फैक्ट चेक किया। पीआईबी ने अपनी पड़ताल में खबर को भ्रामक पाया है। इस बात की जानकारी सरकारी एजेंसी ने एक्स पर अपने ऑफिशियल अकाउंट से पोस्ट के जरिए शेयर की। पीआईबी ने ट्वीट में लिखा, "हिंदुस्तान अखबार के झारखंड संस्करण मे दावा किया गया है कि 20 हजार नाबालिक बच्चे माईका खनन में बाल श्रमिक के रूप में कार्यरत हैं तथा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा इन बाल श्रमिकों की मैपिंग की जाएगी।" इसके बाद पीआईबी ने लिखा कि यह खबर भ्रामक है। एनसीपीसीआर की ओर से मैपिंग का यह काम चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने से जुड़ा है।

इस तरह कराएं फैक्ट चेक   

अगर आपके पास भी इस तरह के कोई मैसेज आते हैं तो आप उसकी सच्चाई जानने के लिए लिए फैक्ट चेक पीआईबी के माध्यम से करा सकते हैं। इसके लिए आपको पीआईबी के ऑफिशियल वेबसाइट https://factcheck.pib.gov.in/ पर विजिट करना होगा। इसके अलावा आप वाट्सएप नंबर +918799711259 या ईमेल आईडी pibfactcheck@gmail.com पर भी मैसेज या वीडियो भेज कर फैक्ट चेक करा सकते हैं।

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