बचपन में चाय की दुकान पर धोया करते थे कप, एक्टिंग के लिए छोड़ी थी नौकरी,  लंबे संघर्ष के बाद पाया था ये मुकान

ओम पुरी बर्थ एनिवर्सरी बचपन में चाय की दुकान पर धोया करते थे कप, एक्टिंग के लिए छोड़ी थी नौकरी,  लंबे संघर्ष के बाद पाया था ये मुकान

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-18 05:06 GMT
बचपन में चाय की दुकान पर धोया करते थे कप, एक्टिंग के लिए छोड़ी थी नौकरी,  लंबे संघर्ष के बाद पाया था ये मुकान

डिजिटल डेस्क मुंबई। भारतीय फिल्मों के प्रसिध्द दिवंगत एक्टर ओम पुरी की आज 72वीं बर्थ एनिवर्सरी है। ओम पुरी ने अपने हिंदी सिनेमा करियर में कई सफल फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया है। ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 को हरियाणा के अम्बाला शहर में हुआ। उनका पूरा नाम ओम राजेश पुरी था। उनके पिता का नाम राजेश पुरी तथा उनकी माता का नाम तारा देवी था। ओम पुरी के पिता भारतीय रेल्वे में काम करते थे। ओम पुरी फिल्मी परिवार से नहीं थे इसलिए उन्हें सिनेमा जगत में जगह बनाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। ओम पुरी एक बेहतरीन अभिनेता थे जिसने, बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपने दमदार अभिनय और काबिलियत से अपना लोहा मनवाया। ओम पुरी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं  लेकिन वह फिल्म जगत का एक ऐसा चेहरा है जिसे कभी नही भुलाया जा सकता।

बचपन में चाय की दुकान पर धोया करते थे कप
ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में बैचमेट थे। ओम पुरी कई इंटरव्यूज में अपने बचपन के किस्से सुनाया करते थे और एक बार उन्होंने बताया था कि वह 6 साल की उम्र में सड़क किनारे बर्तन धोया करते थे। ओम जब इंडस्ट्री में एक्टिंग के लिए आए तो शबाना आजमी ने उन्हें देखकर कहा था- कैसे-कैसे हीरो बनने चले आते हैं। 

एक्टिंग के लिए छोड़ दी नौकरी
 फिल्मों में आने से पहले ओमपुरी सरकारी विभाग में क्लर्क का काम करते थे। ओम पुरी को स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग बहुत ज्यादा पसंद थी। वह पहले स्कूल और कॉलेज के फंक्शन्स में हिस्सा लिया करते थे और बाद में एक थिएटर ग्रुप का हिस्सा बन गए। ओमपुरी ने अभिनय की दुनिया में कदम रखने के लिए कॉलेज के असिस्टेंट लाइब्रेरियन की नौकरी को छोड़ दिया था।ओम पुरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की। 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। बाद में ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप “मजमा” की स्थापना की।

फिल्मी करियर
ओम पुरी ने मराठी फिल्म घासीराम कोतवाल से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म “आक्रोश” ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। साल 1983 की फिल्म अर्ध सत्य से वे लोगों की निगाह में आए। इसके आलाला उन्होंने- (1980) भवनी भवाई, (1980) चन परदेसी, (1980) स्पर्श, (1980) आक्रोश, (1981) सद्गति,  (1981 )कलयुग,  (1982) गाँधी, (1982) विजेता, (1982) आरोहण, (1983) अर्द्ध सत्य, (1983) जाने भी दो यारों, (1983) डिस्को डांसर, (1983) चोख, (1983) मंडी, (1983) बेकरार, (1984) माटी माँगे खून, (1984) होली, (1984) पार्टी, (1984) द ज्वैल इन द क्राउन, (1984) गिद्ध, (1984) तरंग, (1985) अघात, (1985) नसूर, (1986) तमस,  (1986 यात्रा), (1986) लौंग दा लश्कारा,  (1986) न्यू देहली टाइम्स,  (1987) सुस्मान,  (1987) गोरा, (1988) हम फ़रिश्ते नहीं,  (1988) एक ही मकसद,  (1988) भारत एक खोज,  (1989) मिस्टर योगी,  (1989) इलाका, (1990) घायल, (1990) दिशा, 

 (1991) सैम एंड मी,  (1991) नरसिम्हा, (1992) करन्ट,  (1992) सिटी ऑफ जॉय, (1992) अंगार, (1993) इन कस्टडी, (1993) द बर्निंग सीज़न,  (1994) वो छोकरी,  (1994) द्रोह काल, (1995) ब्रदर्स इन ट्रबल, (1995) कर्तव्य, (1996) प्रेम ग्रंथ,  (1996) घातक, (1997) निर्णायक, (1997) मृत्युदंड, (1998) चाइना गेट, (1998) चाची 420,  (1999) ईस्ट इज़ ईस्ट,  (2000) दुल्हन हम ले जायेंगे,  (2001) इण्डियन, (2001) ग़दर,  (2002) माँ तुझे सलाम, (2003) कगार,  (2004) द किंग ऑफ बॉलीवुड,  (2005) द हैंगमैन,  (2006) चुप चुप के,  (2006) डॉन, आदि फिल्मों में काम किया। 

 

अपनी मौत को लेकर ओम पुरी ने कही थी ये बात
एक इंटरव्यू में ओम पुरी ने अपनी मौत के बारे में बात की थी और कहा था कि उनकी मौत अचानक ही होगी। मार्च 2015 में लिए गए इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ""मृत्यु का तो आपको पता भी नहीं चलेगा। सोए-सोए चल देंगे। आपको पता चलेगा कि ओम पुरी का कल सुबह 7 बजकर 22 मिनट पर निधन हो गया"" और ये कहकर वो हंस दिए। हुआ भी कुछ ऐसा ही था। ओम पुरी की 66 साल की उम्र में 6 जनवरी 2017 को दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया।

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