शिक्षा में उम्मीद: कोटा में 6 महीने में कई छात्रों ने किया सुसाइड, बच्चोंं को समझाना होगा कि कॉम्पिटिशन ही सब कुछ नहीं होता
- परिवालवालों ने कोटा आकर ढूढ़ा अपने बेटे का शव
- रिजल्ट की रात 17 साल के शुभ ने आत्महत्या की
- सॉरी पापा मैं JEE नहीं कर सकता
- साल 2024 के 6 महीने में सामने आए सुसाइड के कई केस
डिजिटल डेस्क, कोटा। डॉक्टर-इंजीनियर बनाने के हब से विख्यात राजस्थान के कोटा में बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। 6 महीने में 14 छात्रों की मौत हो चुकी है। आत्महत्या का सिलसिला थम नहीं रहा। देश के सामने आज ये सबसे बड़ा सवाल है कि कोटा में मौत का आंकड़ा कब थमेगा। ऐसी क्या वजह है कि माता पिता कोटा में पढ़ाई के नाम पर अपने बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रहे है। इस साल अब तक सुसाइड की 14 खबरें सामने आ चुकी हैं।
कोचिंग फैक्ट्री के तौर पर विख्यात राजस्थान का कोटा में पिछले कुछ सालों से मौतों का सिलसिला जारी है। छात्रों के आत्महत्या करने के बाद मिलने वाले सुसाइड नोटों पर गौर फरमाएं तो सबसे ज्यादा वाक्य सामने आए है, उनमें मम्मी पापा मैं ये नहीं कर पाऊंगा.. सॉरी ये मुझसे नहीं हो पाएगा...नाउम्मीदी और हताशा से भरे होते हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल देशवासियों के जहन में ये सामने आती है कि हताशा और नाउम्मीदी आती कहां से है, तो आपको बता दें ये हताशा प्रतियोगी परीक्षाओं में बढ़ते कॉम्पिटिशन के माहौल से आती है या घर से दूर अकेलेपन से ऊबकर नाउम्मीदी और हताशा उन्हें अपने शिकंजे में ले लेती है। प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए समाज में सफल होने का दबाव इन मासूम जिंदगी को जीवन से नाता तोड़ने पर मजबूर कर रही है। सुसाइड करने का कारण चाहे जो भी हो, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ऐसे माहौल को रूकना चाहिए।
साल के शुरूआती महीने 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से आए 19 वर्षीय मोहमद जैद ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। पहली सुसाइड के चार दिन बाद ही 29 जनवरी को मैं सबसे खराब बेटी हूं' लिखकर 18 साल की निहारिका ने फांसी का फंदा लगाकर अपनी जान ली। उसमें लिखा था 'मम्मी पापा मैं JEE नहीं कर सकती इसलिए सुसाइड कर रही हूं , मैं कारण हूं , मैं सबसे खराब बेटी हूं, सॉरी मम्मी पापा यही आखिरी विकल्प है। अगले महीने फरवरी की दूसरी तारीख को 27 साल के नूर मोहम्मद ने पीजी के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। कोटा प्रशासन और पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी नूर के 10 दिन बाद ही एक और छात्र ने सुसाइड कर ली।
13 फरवरी को रिजल्ट की रात 17 साल के शुभकुमार चौधरी ने फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। एक हफ्ते बाद ही 20 फरवरी को 16 साल के रचित ने सुसाइड नोट लिखकर अपनी जान दे दी। उसके घरवालों को उसका शव पहाड़ों में मिला। 8 मार्च को सल्फास खाकर 16 साल के कोचिंग छात्र अभिषेक कुमार ने भी अपनी जान ली। अभिषेक के सुसाइड नोट मैं लिखा सॉरी पापा मैं JEE नहीं कर सकता। 26 मार्च को यूपी के कन्नौज का रहने वाले 20 साल के छात्र उरूज खान ने भी आत्महत्या कर ली। 28 मार्च को 19 साल की सौम्या ने भी सुसाइड कर लिया।
अप्रैल के आखिरी में 2 छात्रों ने सुसाइड किया। 29 अप्रैल को हरियाणा के 20 वर्षीय सुमित ने आत्महत्या की। 30 अप्रैल को भरत धौलपुर का रहने वाले 20 वर्षीय भरत राजपूत ने भी अपनी जान ले ली थी। पुलिस को भरत के सुसाइड नोट में "सॉरी पापा इस बार भी मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाएगा"लिखा मिला था। 5 मई को उसका नीट का एग्जाम था उससे पहले ही उसने फंदा लगाकर जान दे दी।
पिछले महीने जून में कोटा से छात्रों के सुसाइड के तीन मामले सामने आए। नीट की परीक्षा के रिजल्ट से तनाव में आकर 6 जून को मध्य प्रदेश के रीवा की रहने वाली बागीशा तिवारी ने बिल्डिंग की नौवीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली थी। 16 जून को बिहार के चंपारण जिले का रहने वाले 17 वर्षीय आयुष ने आत्महत्या कर ली। 27 जून को बिहार के भागलपुर का रहने वाले 17 वर्षीय ऋषित साडे ने मौत का मार्ग अखित्यार किया। बीते कल 4 जुलाई को जेईई की तैयारी कर रहे नालंदा के रहने वाले 16 वर्षीय संदीप ने सुसाइड कर लिया।
परीक्षाओं की तैयारी और एग्जाम को लेकर बने तनाव और परीक्षा के उपरांत असफलता मिलने पर सुसाइड करना सभी के सामने एक सवाल खड़ी कर रही है। जिम्मेदार नागरिक के तौर स्टूडेंट, समाज, परिवार और सरकार को घटनाओं से सबक ले लेना चाहिए। वहीं परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं में बच्चोंं को समझाना होगा कि सिर्फ कॉम्पिटिशन निकाल पाना ही सब कुछ नहीं होता।