Yogini Ekadashi 2024: इस कथा के बिना अधूरा है योगिनी एकादशी का व्रत, जानिए पूजा का मुहूर्त

  • यह व्रत 02 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा
  • यह दिन भगवान श्रीहरि यानि कि विष्णु जी को समर्पित है
  • एकादशी व्रत करने से श्री हरि की कृपा हमेशा बनी रहती है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-29 08:52 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। इस बार यह व्रत 02 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। यह दिन भगवान श्रीहरि यानि कि विष्णु जी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि, एकादशी व्रत और आषाढ़ का महीना दोनों ही भगवान विष्णु के प्रिय हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से कृपा हमेशा बनी रहती है। आइए जानते हैं योगिनी एकादशी की तिथि और व्रत कथा के बारे में....

तिथि कब से कब तक

ति​थि आरंभ: 1 जुलाई 2024, सोमवार की सुबह 10 बजकर 27 मिनट से

तिथि समापन: 02 जुलाई 2024, मंगलवार की सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर

व्रत का पारण: 03 जुलाई 2024, बुधवार की सुबह 5 बजकर 27 मिनट से सुबह 7 बजकर 11 मिनट तक।

योगिनी एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय कुबेर नाम का एक राजा स्वर्ग में रहता था। वह भगवान शिव की पूजा करता था। राजा के यहां एक हेम नाम का एक माली था, जिसके पास काफी सुंदर पत्नी विशालाक्षी थी। माली हर दिन राजा को पूजा के लिए फूल लाकर देता था। लेकिन एक दिन वह कामोत्तेजना के कारण वह अपनी पत्नी से हास्य-विनोद करने लगा। इससे राजा को पूजा में देरी हो गई। इससे राजा ने माली को श्राप दे दिया।

राजा ने माली से कहा कि, तुमने भगवान की भक्ति की अपेक्षा वासना को अधिक प्राथमिकता दी। तुमने मेरे परम पूजनीय शिवजी का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा। इसके बाद वह धरती पर आ गिरा और कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गया। इसके बाद उसकी पत्नी ने भी उसे त्याग दिया।

वह कई वर्षों के बाद माली को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए और उसने अपने जीवन की पूरी व्यथा उन्हें सुनाई। इसके बाद ऋषि ने माली को योगिनी एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे। माली ने वैसा ही किया और वह व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

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