वृश्चिक संक्रांति: इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा, जानें इस दिन का महत्व
सूर्य देव एक राशि में 30 दिन तक रहते हैं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भगवान सूर्य की पूजा का हिन्दू धर्म में जितना महत्व है उतना ही सूर्य का राशि में होना या ना होना महत्व रखता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानि कि 17 नवंबर 2023, शुक्रवार को सूर्यदेव अपने मित्र मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश कर रहे हैं। इस दिन को वृश्चिक संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना ही संक्रांति कहलाता है। बता दें कि, सूर्य देव एक राशि में 30 दिन तक रहते हैं। इसके बाद, एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं।
वर्तमान में सूर्य बने हुए हैं और अब वे तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है। साथ ही इस दिन श्राद्ध व तर्पण भी करना चाहिए। इस काल में दान करने से पुण्य का लाभ कई गुना मिलता है। आइए जानते हैं सूर्य कब बदलेंगे राशि और इस दिन किस प्रकार करें पूजा...
राशि बदलने का समय
ज्योतिषाचार्य की मानें तो, 16 नवंबर की रात 12 बजकर 48 मिनट पर सूर्य वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। इसके बाद 16 दिसंबर दोपहर बाद 3 बजकर 25 मिनट तक विराजमान रहेंगे। जबकि, उसके बाद गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेंगे।
इस विधि से करें पूजा
पूजन विधि-
सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त हों और साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं।
रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
घी में लाल चंदन मिलाकर दीपक लगाएं।
अब सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं।
गुग्गल की धूप करें, रोली, केसर, सिंदूर चढ़ाना चाहिए।
गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं।
इसके बाद लाल चंदन की माला से 'ॐ दिनकराय नमः' मंत्र का जाप करें।
पूजन के बाद नैवेद्य लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।