Diwali 2024: इस विधि से करें मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त

  • खुशहाली, समृद्धि और शांति का प्रतीक है ये त्योहार
  • विद्वानों ने गुरुवार को दिवाली मनाना शुभ बताया है
  • दिवाली पर लक्ष्मी- गणेश पूजा के लिए तीन मुहूर्त हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-30 15:28 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली (Diwali) का पर्व धूम- धाम से मनाया जाता है। खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्‍मक ऊर्जा के प्रतीक इस पर्व पर धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन, इस वर्ष तिथि को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति रही, जिसके बाद धार्मिक विद्वानों ने दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को मनाया जाना शुभ माना है।

विद्वानों का कहना है कि, दिवाली के पर्व के लिए कर्मकाल (पुण्य काल) में तिथि की प्राप्ति होना आवश्यक है, जो 31 अक्टूबर को है और इस पूरी रात्रि में अमावस्या रहेगी। जबकि, 1 नवंबर को कर्म काल या प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ना होने से लक्ष्मी पूजन का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा। आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त, संयोग और पूजा विधि के बारे में...

तिथि कब से कब तक

अमावस्या तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार की दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से

अमावस्या तिथि समापन: 01 नवंबर 2024, शुक्रवार की शाम 6 बजकर 16 मिनट तक

पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल में मुहूर्त: 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार की शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक।

वृषभ काल में मुहूर्त: 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार की शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक।

निशिता काल में मुहूर्त: 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार की शाम रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 21 बजकर 31 मिनट तक

कैसे सजाएं पूजा की थाली

1. ग्यारह दीपक

2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान

3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।

इस विधि से करें पूजा

- दिवाली पर शाम के समय सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें, फिर इस चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।

- इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति को विराजित करें और दाहिन तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें।

- लक्ष्मीजी के पास चावलों पर जल से भरा कलश रखें।

- दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल।

- एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में रखें।

- इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें।

- प्रथम पूज्य गणेश जी की वंदना करें और उन्हें पुष्प, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित करें।

- गणेश जी को तिलक लगाएं और मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करें।

- इसके बाद विधि विधान से लक्ष्मी- गणेश की पूजा करें।

- इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती और सभी को प्रसाद वितरित करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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