Varuthini Ekadashi 2024: इस विधि से करें श्रीहरि की पूजा, मिलेगा सौभाग्य का वरदान
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें
- व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है
- त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग बन रहा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर माह एकादशी आती है, लेकिन अलग अलग महीनों में इसे भिन्न नामों से जाना जाता है। वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है। माना जाता है कि, जो भक्त इस कठिन व्रत का पालन करते हैं, उन्हें सौभाग्य का वरदान मिलता है।
इस वर्ष वरुथिनी एकादशी का व्रत 4 मई 2024 दिन शनिवार को रखा जाएगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस शुभ तिथि पर त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग बन रहा है। ये सभी योग बेहद शुभ माने गए हैं और ऐसा कहा जाता है कि इस योग में भगवान श्री हरि और माता पार्वती की आराधना से दोगुना फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि...
तिथि कब से कब तक
तिथि आरंभ: 3 मई 2024 शुक्रवार, रात 11 बजकर 24 मिनट से
तिथि समापन: 4 मई 2024 शनिवार, रात 8 बजकर 38 मिनट तक
विशेष योग निर्माण
त्रिपुष्कर योग: सुबह 4:03 बजे से शाम 5 बजकर 12 मिनट तक
इंद्र योग: पूरे दिन बना रहेगा
वैधृति योग: सुबह 8 बजकर 24 मिनट से एकादशी तिथि समाप्त होने तक
पूजा विधि
- वरुथिनी एकादशी के दिन ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद सूर्य निकलने पर अर्ध्य दें और व्रत का संकल्प लें।
- अब घर के मंदिर की सफाई करें।
- इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
- पूजा स्थान पर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
- गंगा जल से अभिषेक कराएंं।
- अब पीले फूल, अक्षत्, धूप, चंदन, रोली, दीप, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें।
- इसके बाद श्रीहरि को पीले मिष्ठान या चने की दाल तथा गुड़ का भोग लगाएं।
- इसके बाद भगवान की आरती करें।
- पूजा के अंंत में भगवान से पूजा में हुई गलतियों की माफी मांगें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
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