Tirupati Balaji Temple: तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्य कर देंगे आपको हैरान, वर्षों पुरानी है लड्डू प्रसादी की परंपरा
- देश और दुनियाभर से लाखों लोग पहुंचते हैं मंदिर
- दिव्य लड्डू प्रसाद की परंपरा 200 साल पुरानी है
- दुनिया का सबसे अमीर हिन्दू मंदिर माना जाता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) इन दिनों चर्चा में है। इस मंदिर से देश और दुनियाभर के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और यह भारतीय वास्तु कला और शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यही कारण है यहां हर रोज बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु के स्वरूप वेंकटेश्वर जी को समर्पित है और धार्मिक मान्यता है कि, यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की भगवान के दर्शन मात्र से ही कई सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास और रहस्यमयी बातों के बारे में...
200 साल पुरानी है दिव्य प्रसाद की परंपरा
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम का प्रसाद भी खास माना जाता है, जो एक दिव्य लड्डू के रूप में वितरित किया जाता है। इस प्रसाद को 'पोटू' कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, इस प्रसार की परंपरा करीब 200 साल पुरानी है और यह लड्डू मदिर में ही तैयार किए जाते हैं। मंदिर द्वार साल 1803 में प्रसाद के रूप में बूंदी को वितरित किया जाता था। लेकिन, साल 1940 में बूंदी की जगह लड्डू को बांटने की परंपरा शुरू हुई, जो आज तक जारी है।
मंदिर से जुड़े रहस्य
तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है, जिसे भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है, जो संसार के कर्ताधर्ता माने जाने वाले भगवान विष्णु के ही स्वरूप हैं। इस मंदिर से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं जो आपको हैरान कर देंगे।
धार्मिक मान्यता है कि, भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को अलौकिक और जीवंत है। इसका बड़ा कारण यह कि, भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर बाल हमेशा असली बालों की तरह मुलायम बने रहते हैं। यही नहीं भगवान की प्रतिमा को पसीना आता है और पसीने की बूंदों को भी साफ देखा जा सकता है।
इसके अलावा बालाजी की मूर्ति का पिछला हिस्सा हमेशा नम रहता है। यदि इस मूर्ति के पीछे ध्यान लगाकर सुनें तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है। वहीं इस मंदिर में एक दीपक हमेशा प्रज्वलित रहता है, लेकिन यह किसने प्रज्वलित किया और कब? इसकी कोई जानकारी नहीं है।
बालों को किया जाता है दान
इस मंदिर की सबसे पुरानी परंपराओं में से एक है भक्तों द्वारा बालों का दान करना। ऐसा कहा जाता है कि, जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से भगवान से जो भी मांगता है उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है और यही कारण है कि, यहां देश और दुनिया से भक्त अपनी मुरादें पूरी होने के बाद दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही मुराद पूरी होने पर भक्त तिरुपति मंदिर में अपने बाल दान करते हैं।
दुनिया का सबसे अमीर हिन्दू मंदिर
आपको बता दें कि, तिरुपति मंदिर को सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। क्योंकि, यहां बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालु दिल खोलकर दान देते हैं। इनमें कई लोग वे हैं जो पहनकार आए सोने और चांदी के आभूषण उतारकर मंदिर को दान कर देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, तिरुपति ट्रस्ट के पास कुल 11,329 किलो सोना है जिसकी कीमत करीब 8,496 करोड़ रुपए है। वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल, 2024 तक तिरुपति ट्रस्ट के पास रेकॉर्ड 18,817 करोड़ रुपए का कैश बैलेंस था। जिससे इसे दुनिया का सबसे अमीर हिन्दू मंदिर भी कहा जाता है।