Surya Grahan 2024: 54 साल बाद बना सूर्य ग्रहण का ऐसा संयोग, जानें कहां आएगा नजर और क्या है इसकी समयावधि
- 8 अप्रैल रात 9 बजकर 12 मिनट से लगेगा
- यह सूर्य ग्रहण काफी लंबे समय तक चलेगा
- सूर्य करीब 4.29 मिनट तक ढका रहेगा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024, सोमवार को लगने जा रहा है। वहीं हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक यह ग्रहण विक्रम संवत 2080 का आखिरी ग्रहण है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के एक दिन पहले यह ग्रहण चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा। इसके अगले दिन से हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरुआत होगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, जिसे खग्रास सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, यह सूर्य ग्रहण काफी लंबे समय तक चलेगा और इस दिन सूर्य करीब 4.29 मिनट तक ढका रहेगा। ऐसा संयोग 54 साल के बाद बन रहा है। इससे पहले इस तरह का सूर्य ग्रहण वर्ष 1970 में देखा गया था। हालांकि, इस खगोलीय घटना को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह सूर्य ग्रहण कहां आएगा नजर, भारत में सूतक काल मान्य होगा या नहीं? आइए जानते हैं।
सूर्य ग्रहण की अवधि
सूर्य ग्रहण की शुरुआत: 8 अप्रैल, सोमवार, रात 9 बजकर 12 मिनट से
सूर्य ग्रहण का समापन: 8 अप्रैल, सोमवार, रात 1 बजकर 20 मिनट तक
सूर्य ग्रहण की अवधित: सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 05 घंटे 10 मिनट की होगी
सूर्य ग्रहण कहां कहां आएगा नजर?
यह सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। लेकिन इसे दुनिया के दूसरे कई देशों में देखा जा सकेगा। इनमें कनाडा, उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको शामिल हैं। इसके अलावा इस सूर्य ग्रहण को कोस्टा रिका, क्यूबा, डोमिनिका, फ्रेंच पोलिनेशिया, जमैका, आयरलैंड, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र, पश्चिमी यूरोप, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक में भी देखा जा सकेगा।
भारत में सूतककाल नहीं होगा मान्य
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ऐसे में इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होने के चलते इसका कोई भी भौतिक या आध्यात्मिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। बता दें कि, शास्त्रों के अनुसार ग्रहण दिखाई देने की स्थिति में इसका प्रभाव दिनचर्या पर पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है।
क्या होता है खग्रास सूर्य ग्रहण?
जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं। जबकि सूर्य जब कुछ देर के लिए पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो उसे खग्रास यानि कि पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।